कांग्रेस पर क्यों उठते हैं सवाल? इन बयानों से खुद कराते है फ़ज़ीहत
Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस एक तरफ अपनी छवि सुधारने में लगी रहती है तो दूसरी तरफ उनका कोई नेता ऐसा कुछ कह जाता है जिससे फिर से पार्टी की मानसिकता पर सवाल उठने लगते हैं.
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के माहौल में नेताओं की जबान फिसलने के कई वीडियो सामने आती रहती हैं. पिछले कुछ दिनों में एक ऐसे कई बयान सामने आए जिसकी वजह से पार्टी पर सवाल खड़े हुए हैं. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य चरणजीत सिंह चन्नी के और महाराष्ट्र में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार के ताजा बयानों ने पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है.
चन्नी ने क्या दिया बयान?
पुंछ में आतंकवादियों ने हमला किया जिसमें वायु सेना के एक कॉर्पोरल शहीद हो गए. चन्नी ने इसे एक फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन बताया. उन्होंने ये भी कहा कि 'ये BJP के जीतने का एक स्टंट है, इस हमले में कोई सच्चाई नहीं है.'' वो यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि ''लोगों को मरवाना और उनकी लाशों पर राजनीति करना BJP का काम है.'' एक तरफ पार्टी का एक नेता ऐसे बयान देता है तो दूसरी तरफ राहुल इस हमले को शर्मनाक बताते हैं.
विजय वडेट्टीवार ने क्या कहा?
महाराष्ट्र विधानसभा के विपक्ष के नेता और कांग्रेस विजय वडेट्टीवार ने एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि ''IPS अफसर हेमंत करकरे को किसी आतंकवादी ने नहीं बल्कि RSS के हिमायती पुलिस अफसर ने मारा था.'' उन्होंने आगे कहा कि ''इस कदम को छुपाकर उज्जवल निकम को टिकट दिया गया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी से सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या वो देशद्रोहियों का समर्थन करने वालों की पार्टी है?''
BJP को क्या मिला फायदा?
कांग्रेस के नेताओं को लेकर अक्सर कहा जाता है कि पार्टी को हल्का बनाने में कहीं ना कहीं कांग्रेस के नेताओं का ही हाथ है. पार्टी के नेता हमेशा कुछ ना कुछ ऐसा बोल देते हैं जिसपर कांग्रेस को सफाई देनी पड़ती है या फिर पार्टी उससे किनारा कर लेती है. अब इन दोनों नेताओं के बयान चुनाव के समय पर आए, इस दौरान BJP को विपक्ष को घेरने का नया मुद्दा मिल गया. इन बयानों को आधार बनाकर BJP कांग्रेस को आतंकवाद के खिलाफ सॉफ्ट एप्रोच बताकर घेर सकती है. कांग्रेस कहती है कि हेमंत करकरे जैसे मुद्दे बीजेपी हमेशा जिंदा रखेगी, लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा मौका ही क्यों दिया जाता है कि इस तरह के मुद्दे उठते रहें?
चुनाव से असल मुद्दे हैं कोसों दूर
राजनीति में आम जनता से जुड़े मुद्दों पर बात होनी चाहिए, लेकिन सभी पार्टियां चुनाव में मंहगाई, बेरोजगारी, शिक्षा को छोड़ राष्ट्रवाद, संविधान में बदलाव, मंगलसूत्र मुसलमान को मुद्दा बनाए हुए हैं. किस भी बड़े नेता की रैली को देख लीजिए सब एक दूसरे पर वार करते दिख जाएंगे, लेकिन काम की बात कोई नहीं करना चाहता है. कांग्रेस अगर बेरोजगारी की बात करती भी है तो उनके नेता ऐसे बयान दे देते हैं कि वो उनके बचाव में सरकार को घेरती नजर आ जाती है.
बाटला हाउस एनकाउंटर पर रोईं थी सोनिया?
कांग्रेस के नेताओं के बयानों को आज भी चुनाव में मुद्दा बनाया जाता है. बाटला हाउस एनकाउंटर को लेकर एक कांग्रेस के नेता ने कहा था कि इसके बाद सोनिया गांधी की आाखों में आंसू थे, इसके बाद BJP ने इसको आजतक नहीं छोड़ा है, हालांकि वो नेता आज भी अपने बयान पर सफाई देते रहते हैं. इसके अलावा मनमोहन सिंह के घर कश्मीरी आतंकवादी की दावत का भी काफी बवाल हुआ था. इस तरह के कुछ मुद्दों को अक्सर BJP हर चुनाव में उठाती है.
अब कांग्रेस के नाम दो नेताओं का भी नाम जुड़ गया है. जहां, एक तरफ BJP ने मंगलसूत्र, मुसलमान, संपत्ति के मुद्दे पकड़ रखें , उसी में कांग्रेस के एक दो नेताओं के बयान BJP को चुनाव में फायदा पहुंचाने का काम कर जाते हैं.