कौन था वो 'क्रूर शासक सालार' जिसका ओवैसी ने किया जिक्र?
Lok Sabha Election 2024: नवनीत राणा के बयान के बाद से सियासत में बयानबाजी का दौर बढ़ गया है. एक तरफ नवनीत ता बयान सामने आया तो दूसरी तरफ ओवैसी ने इसका करारा जवाब दिया.
Lok Sabha Election 2024: AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने नवनीत राणा के 15 सेकंड वाले बयान पर पलटवार किया. इस पलटवार में उन्होंने तोप, दिल्ली के पप्पा, मुर्गी का बच्चा और सालार जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. ओवैसी ने जिस सालार का जिक्र अपने बयान में किया आखिर वो कौन था? भारत में जिस शासक को क्रूर शासक के तौर पर देखा जाता है आखिर उससे ओवैसी ने अपनी तुलना क्यों की?
कौन था सालार?
महमूद गजनवी का नाम तो सभी ने सुना होगा, जिनको क्रूर शासक के तौर पर जाना जाता था. सालार मसूद गाजी इन्हीं के भांजे थे. कम शब्दों में आपको सालार मसूद के बारे में समझाएं तो महमूद गजनवी यमीनी वंश का तुर्क सरदार ग़ज़नी के शासक सुबुक्तगीन का बेटा था. जिसका जन्म 971 में हुआ था. जानकारी के मुताबिक,उन्होंने भारत पर 17 बार हमला किया था. इन हमलों में वो भारत का बहुत सा खजाना लूटकर ले गए. 1001 ई. से शुरू हुए इस हमलों में मंदिरों में काफी तोड़फोड़ की गई, कहा जाता है कि उन्होंने हिंदुओं पर बहुत अत्याचार किए. 1026 ई में महमूद ने सबसे बड़ा हमला काठियावाड़ के सोमनाथ मंदिर पर किया था.
भारत कैसे पहुंचा सालार?
सालार मसूद, महमूद गजनवी का भांजा था, कहा जाता है कि वो अपने मामा के साथ ही भारत आया था. भारत पर हमला करते हुए साल 1033 में सालार बहराइच पहुंचा था. जहां पर उस वक्त के महाराजा सुहेलदेव राजभर से उनकी जंग हुई, इस जंग में सालार मसूद मारा गया था. सालार को लेकर कहा जाता है कि वो भी महमूद गजनवी की तरह ही हिंदुओं पर अत्याचार करता था, और लोगों को धर्म परिवर्तन कर ने के लिए मजबूर करता था.
पहले भी सालार के नाम पर हो चुका है बवाल
बात कई साल पहली है जब ओवैसी ओम प्रकाश राजभर से मिलने बहराइच पहुंचे थे. यहां उन्होंने पार्टी कैंप की शुरुआत की थी. इसके बाद वह यहां से क्रूर शासक महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद गाजी के मजार पर जियारत करने भी गए थे. इसी के बाद से राजनीति में एक बार सालार का जिक्र हुआ था. उस वक्त जब राजभर से सवाल किया गया था कि वो सालार के किए को कैसे भूल गए तो उन्होंने इसपर जवाब दिया था कि ''सालार कोई आतंकवादी नहीं था, वो यहां पर जो करने आया उसने किया.
ओम प्रकाश राजभर की पार्टी और सालार का रिश्ता
जैसा की बताया जाता है कि सालार मसूद की महाराज सुहेलदेव के साथ एक खतरनाक जंग हुई था, इस जंग में सुहेलदेव ने सालार को शिकस्त देते हुए मौत के घाट उतार दिया था. ये वही महाराज सुहेलदेव हैं जिनके नाम पर ओम प्रकाश राजभर ने अपनी पार्टी बनाई है.