Lok Sabha Election 2024: BJP ने राहुल की तुलना 'आखिरी बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र' से क्यों की?

Lok Sabha Election 2024: 2019 में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को अमेठी से हराया था. अब कांग्रेस ने अमेठी से अपना उम्मीदवार उतार दिया है.

JBT Desk
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Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस ने जैसे ही अमेठी और रायबरेली लोकसभा उम्मीदवारों पर सस्पेंस खत्म किया. वैसे ही भाजपा की इसपर प्रतिक्रिया सामने आ गई है. BJP ने शुक्रवार को राहुल गांधी पर तीखा हमला किया और दावा किया कि उनके परिवार के गढ़ों में उनका राजनीतिक शासन अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर की तरह खत्म हो जाएगा. 

कांग्रेस ने किया उम्मीदवारों के नाम का ऐलान

कांग्रेस ने आज घोषणा की कि राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.  गांधी परिवार के वफादार किशोरी लाल शर्मा अमेठी से चुनाव लड़ेंगे. 2019 में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल गांधी को हराया था. 

BJP ने कहा क्या कहा

केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने आज कहा कि राहुल गांधी को रायबरेली भी छोड़ना होगा. "गांधी परिवार कभी भी उस सीट पर वापस नहीं जाता जहां से वह हारता है. राहुल गांधी अमेठी हार गए और उन्होंने इसे छोड़ दिया, इस बार अगर वह रायबरेली भी हार गए, तो वह वह भी छोड़ देंगे. जैसे बहादुर शाह जफर मुगल के आखिरी सम्राट थे सल्तनत, रायबरेली गांधी परिवार के लिए एक ही है.''

कौन थे बहादुर शाह ज़फ़र?

मिर्ज़ा अबुल मुज़फ़्फ़र मोहम्मद सिराजुद्दीन (जो बहादुर शाह जफर के नाम से जाने जाते थे) का जन्म (1775-1862) दिल्ली के लाल किले में हुआ था जहाँ उन्होंने अरबी और फ़ारसी के साथ-साथ कला में भी अपनी शिक्षा प्राप्त की थी. युद्ध करना, और तीरंदाज़ी करना था. वह बासठ वर्ष की उम्र में केवल एक नाम मात्र के साम्राज्य पर शासन करने के लिए सिंहासन पर बैठे थे, जो अपनी शक्ति और महिमा खो चुके थे और किले के आसपास तक ही रह गए थे. 

उदारवादी बादशाह

बहादुर शाह जफर को एक उदार सम्राट कहा जाता था, जो सभी धर्मों का सम्मान करते थे साथ ही वो शांति पसंद थे. ब्रिटिश सरकार ने उनपर 1857 के विद्रोह का समर्थन करने का आरोप लगाया. शहर में जब ब्रिटिश सेना के प्रवेश किया तो उन्होंने हुमायूँ के मकबरे में शरण ली जहाँ उन्होंने अपनी पत्नी ज़ीनत महल और दो बेटों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, उनका इतना ज्यादा अपमान किया गया जिसमें उनके तीन बेटों और एक पोते का सिर कलम कर दिया गया साथ ही लंबे समय तक प्रदर्शन के लिए उनके सिर लटकाए रखे गए. 

अंग्रेजों के खिलाफ़ विद्रोह 

बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने और देशद्रोह में शामिल होने के लिए 42 दिनों तक चली कानूनी कार्यवाही के बाद उनको मौत की सजा सुनाई गई हालांकि, इसे जिसे बाद में देश निकाला में बदल दिया गया. उस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी ज़ीनत महल, उनके दो बेटे और एक बहू भी थीं. इस निर्वासन (देश निकाला) में उन्होंने अपने जीवन के आखिरी चार साल काफी दुख और अपमान में बीते. बहुत दिनों तक उनको कहां पर दफनाया गया इस बात का पता नहीं चल पाया था. 

बेहतरीन कवि थे ज़फ़र 

बहादुर शाह जफर को एक बेहतरीन कवि के तौर पर भी याद किया जाता है. उनकी कविता में दया और करुणा की गहरी भावना दिखती है. उन्होंने अपनी शायरी पर मिर्ज़ा नसीर और फिर ज़ौक़ से सलाह ली, बाद में ज़ौक़ के निधन के बाद ग़ालिब ही उनके गुरु बने थे. 

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03 May 2024, 11:16 AM IST

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