Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की राजनीति में यादव परिवार का अपना अलग दबदबा है. नेता जी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव को लोग आज भी याद करते हैं. यूपी की राजनीति में मुलायम सिंह का हमेशा जिक्र होता है. देश में अब चुनावी माहौल है, इस दौरान नेताओं से जुड़े पुराने किस्से कहानियां सामने आ रहे हैं. आज हम आपको अखिलेश यादव के राजनीति में आने के दौरान का एक किस्सा सुनाएंगे कि किस तरह से वो अचानक राजनीति में आए थे. 

अखिलेश यादव की राजनीति में एंट्री

ये तो सब जानते ही हैं कि मुलायम सिंह यादव राजनीति के साथ साथ पहलवानी के दांव में भी माहिर थे. नेताजी ने अपने बेटे अखिलेश यादव की राजनीति में एंट्री अचानक से कराई थी. दरअसल, 1999 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव लोकसभा चुनाव में कन्नौज और संभल से चुनाव लड़े थे. उस दौरान दोनों ही सीटों पर उनको कामयाबी मिली थी. लेकिन जीत के बाद भी उन्होंने कन्नौज सीट छोड़ दी. 2000 में फिर यहां पर उपचुनाव का ऐलान किया गया. एक बार फिर से मुलायम सिंह चुनाव प्रचार में जुट गए. 

मंच पर अखिलेश को लेकर किया ऐलान 

चुनाव प्रचार के लिए मुलायम सिंह  शहर के बोर्डिंग मैदान में आए हुए थे. उनके साथ इस दौरान अमर सिंह और आजम खान भी थे, वहीं इस दौरान एख नौजवान भी वहां पर मौजूद था. इस समय तक इस नौदवान को को ज्यादा लोग नहीं जानते थे. हम बात कर रहे हैं नेताजी के बेटे अखिलेश यादव की.  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस दौरान अमरसिंह ने नेताजी से अखिलेश को राजनीति में लाने के लिए कहा. हालांकि इस बात पर पहले नेताजी तैयार नहीं हुए. लेकिन जब आजम खान ने कहा तो कुछ देर उन्होंने सोचा और अपनी जगह से उठकर अखिलेश का हाथ पकड़कर बोले ''अपना बेटा छोड़कर जा रहा हूं, आप इसे सांसद बना देना.''

अखिलेश ने संभाली कमान 

नेताजी के ऐलान करने के बाद वहां पर जमा भीड़ में शोर और ज्यादा बढ़ गया. अखिलेश के राजनीति में लांच की बात से राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी बढ़ गई थी. अखिलेश को छोड़कर जाते वक्त नेताजी ने कहा कि ''अब तुम यहीं पर रहो और चुनाव प्रचार का काम संभालो.'' अखिलेश का मुकाबला बसपा अकबर अहमद डंपी से था, जिनको अखिलेश ने हराया.