रायबरेली सीट से ही क्यों उतरे राहुल गांधी? 6 पॉइंट में समझिए इसका इतिहास
Lok Sabha Election 2024: BJP राहुल गांधी पर रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर काफी घेर रही है. समझिए आखिर कांग्रेस ने राहुल को रायबरेली से ही क्यों उतारा?
Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस ने शुक्रवार को नामांकन के आखिरी दिन सस्पेंस से पर्दा हटाते हुए अमेठी और रायबरेली से अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. राहुल गांधी ने जहां रायबरेली से चुनावी नामांकन दाखिल किया, वहीं प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की अटकलों पर भी विराम लग गया. सब के मन में एक ही सवाल है कि आखिर कांग्रेस ने राहुल को रायबरेली सीट से क्यों उतारा है. कांग्रेस के लिए रायबरेली क्यों खास है, इसको 6 प्वाइंट्स में समझिए.
1- रायबरेली सीट नेहरू-गांधी परिवार की परंपरागत सीट कही जाती है, यहां से फिरोज गांधी से लेकर इंदिरा गांधी, अरुण नेहरू और सोनिया गांधी तक संसद जा चुके हैं. बीते सालों को देखा जाए तो सोनिया साल 2004 से ही 2019 तक यहां लगातार जीत दर्ज करती रही हैं. BJP उनको यहां से हराने में नाकाम रही है.
2- कांग्रेस और रायबरेली के रिश्ते को देखें तो ये आज से नहीं आजादी के पहले से है. रायबरेली में 7 जनवरी 1921 में ही पं. मोतीलाल नेहरू ने अपने प्रतिनिधि के रूप में जवाहरलाल नेहरू को उतारा था. दांडी यात्रा हुई तो इसके लिए भी इसी रायबरेली को चुना गया. इसके साथ ही रायबरेली और कांग्रेस का रिश्ता लगातार गहरा होता गया. आजादी के बाद जब देश में पहली बार लोकसभा का चुनाव हुए जिसमें फिरोज गांधी को रायबरेली से बड़ी जीत मिली थी.
3- रायबरेली सीट और कांग्रेस का इतिहास अच्छा रहा है, फिरोड गांधी की जीत के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यहां से 1967 से 1971 तक जीत हासिल की. इमरजेंसी के बाद वो एक बार फिर से इंदिरा गांधी ने 1980 में धमाकेदार वापसी की. उस वक्त उन्होंने रायबरेली के साथ-साथ आंध्र प्रदेश की मेंडक सीट पर भी जीत हासिल की थी.
4- इसी कड़ी में जब इंदिरा ने रायबरेली सीट छोड़ी तो बहुत समय तक इस सीट पर कोई कांग्रेस परिवार से नहीं उतरा. गांधी परिवार से भले ही कोई नहीं था लेकिन इंदिरा गांधी के रिश्तेदार अरुण नेहरू (जो कि मोतीलाल नेहरू के चचेरे भाई के पोते थे) को यहां से उतारा गया था. इसके बाद वो जनता दल में सामिल हो गए थे, उनके जाने के बाद कांग्रेस ने शीला कौल को मैदान में उतारा था.
5- रायबरेली से कांग्रेस को ज्यादातर जीत हासिल हुई, लोकिन कई बार उनको निराशा का भी सामना करना पड़ा. शीला कौल 1989 से लेकर 1991 तक सांसद रहीं. इसके बाद उनके बेटे को ये सीट दी गई, लेकिन 1996 में दोनों को ही इस सीट से हाथ धोना पड़ा. 1999 में कांग्रेस ने राजीव गांधी के दोस्त कैप्टन सतीश शर्मा पर कांग्रेस ने भरोसा जताया, और उनको जीत भी हासिल हुई.
6- अमेठी से सोनिया गांधी थी, लेकिन जैसे ही राहुल की राजनीति में एंट्री हुई तो उन्होंने अपनी सीट राहुल को दे दी, अब रायबरेली से सोनिया उतरीं. तब से लेकर अब तक सोनिया यहां पर चार बार चुनाव जीता. हाल ही में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सोनिया गांधी ने रायबरेली वालों के लिए एक भावुक कर देने वाला खत लिखा, इसी के साथ सोनिया ने रायबरेली सीट छोड़ दी. इस चुनाव में इस सीट को लेकर काफी सस्पेंस था लेकिन राहुल के नाम पर मुहर लगने के बाद एक बार फिर से कांग्रेस परिवार इस सीट पर अपनी किस्मत आजमाएगा. अब कहा ये दा रहा है कि रायबरेली सीट और कांग्रेस के इतिहास को देकते हुए राहुल के लिए इस सट पर जीत आसान हो सकती है.