Oath Ceremony: पद ग्रहण के पहले क्यों जरूरी है शपथ क्या है इसका इतिहास, जानिए सबकुछ

Narendra Modi Oath Ceremony: नरेंद्र मोदी आज शाम सात बजकर 15 मिनट पर तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे. इस बीच आज हम आपको शपथ के बारे में बताने जा रहे हैं कि, आखिर शपथ जरूरी क्यों हैं इसका इतिहास क्या है तो चलिए इन सब के बारे में विस्तार से जानते हैं.

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Narendra Modi Oath Ceremony:  नरेंद्र मोदी आज शाम 7.15 बजे लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद प्रत्येक पिछले कार्यकाल का पूरा कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार तीसरी बार चुने जाने वाले पहले नेता हैं. नरेंद्र मोदी के साथ उनके मंत्रिपरिषद के सदस्य भी आज शपथ लेंगे. नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में भव्य समारोह के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी.

दुनिया के दूसरे देशों में शपथ को लेकर अलग-अलग परंपराएं हैं. इस बीच कई लोगों के मन में ये सवाल है कि, आखिरकार शपथ के क्या मायने हैं यह पीएम को क्यों दिलाई जाती है, इसका इतिहास क्या है. तो चलिए इन तमाम सवालों का जवाब जानते हैं.

भारत में पीएम को क्यों लेनी पड़ती है शपथ

भारतीय संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति देश का मुखिया होता और प्रधानमंभी सरकार का सर्वेसर्वा होता है. संविधान की तीसरी अनुसूची में पीएम को शपथ दिलाने के बारे में लिखा गया है. हालांकि इसकी कोई खास वजह नहीं है लेकिन यह एक तरह से अहम प्रक्रिया मानी जाती है. खास बात यह है कि, शपथ संसद के सदस्यों, सुप्रीम कोर्ट के जजों, हाईकोर्ट के जजो और सीएजी को भी दिलाई जाती है लेकिन उन्हें केवल एक बार दिलाई जाती है जबकि पीएम को दो बार शपथ लेना पड़ता है. जानकारी के मुताबिक भारत में पीएम को पहले पद ग्रहण करने के लिए शपथ लेनी पड़ती है और फिर बाद में गोपनीयता से जुड़ी शपथ होती है.

शपथ का इतिहास

शपथ की इतिहास की बात करें तो इसका इतिहास रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रंथों में मिलता है. उस जमाने में किसी आदर्श की या फिर प्रकृति को साक्षी मानकर शपथ ली जाती थी. शपथ लेने की परंपरा ब्रिटिश काल में भी मिलता है. साल 1873 में ब्रिटिश सरकार के शासन में इंडियन कोर्ट एक्ट लागू किया गया था जिसमें धार्मिक किताबों पर हाथ रखकर शपथ लेते थे.

शपथ का उल्लंघन करने पर क्या मिलती है सजा

शपथ के कुछ नियम भी है जिसका उल्लंघन करने पर सजा भी मिलती है. दरअस, अगर कोई व्यक्ति शपथ की गोपनीयता से जुड़ी सीमा का उल्लंघन करता है तब उसे महाभियोग का सामना करना पड़ सकता है. आमतौर पर नियम का उल्लंघन करने पर कोई आपराधिक केस नहीं दर्ज किया जाता है लेकिन अगर गबन शामिल है तब क्रिमिनल केस हो सकता है.

First Updated : Sunday, 09 June 2024