Supreme Court Hearing on NOTA: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का मतदान हो रहा है. चुनाव में ईवीएम से वोटिंग के बाद बर वीवीपैट का मिलान करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस बीच अब एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. जिसमें मांग की गई है कि यदि किसी सीट पर सबसे अधिक वोट NOTA पर हो तो चुनाव दोबारा होगा. इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा यह बात चुनाव प्रकिया को लेकर है.
याचिका में यह नियम बनाने की मांग की गई है कि NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को 5 साल के लिए सभी चुनाव लड़ने से बैन कर दिया जाए साथ ही नोटा को एक काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर देखा जाए.
भारत में नोटा एक विकल्प 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आया था. नन ऑफ द अबत यानी NOTA एक मतदान करने का ऑप्शन है. जिसके तहत मतदाता किसी भी प्रत्याशी के पंसद न आने पर इस विकल्प को चुन सकता है. इसे भारत में शुरु कराने से पीछे पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने काफी लंबी लड़ाई लड़ी थी. इस पर यह समझना जरुरी है देश में NOTA राइट टु रिजेक्ट के लिए नहीं है. मौजूदा कानून के मुताबिक NOTA को ज्यादा वोट मिलते हैं तो इसका कोई कानून नतीजा नहीं होता है. First Updated : Friday, 26 April 2024