Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव हो रहे है. ऐसे में कांग्रेस ने अपने अपने मजबुत गढ़ में उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. राहुल गांधी को रायबरेली और अमेठी से सोनिया गांधी के संसदीय प्रतिनिधि और आईसीसी सदस्य पंडित किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाया है. टिकट के ऐलान से पहले कई दिनों से इस बात पर काफी चर्चा थी की राहुल गांधी को अमेठी और प्रियंका गांधी को रायबरेली से टिकट दिया जा सकता है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. रायबरेली में टिकट ऐलान से पहले ये देखा गया था कि वहां कई सारे पोस्टर लगे थे जिसमें प्रियंका के चुनावी मैदान में उतरने की बात थी. हांलाकि जो लोग इंतजार में थे उनका इंतजार एक बार फिर बढ़ गया है.
प्रिंयका गांधी ने इस पर अपनी बात भी रखी है. उनका कहना है कि कोई तो होना चाहिए चुनाव संचालन के लिए. अब प्रियंका गांधी ने चुनाव से अपना किनारा कर लिया है. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर 52 साल की प्रिंयका गांधी कब चुनाव में एंट्री करेंगी. ये देखा गया है कि लगभग उनके परिवार के सभी लोगों ने चुनावी मैदान में अपनी पारी खेली है. इस बात को लेकर अब चर्चा भी तेज हो गई है कि आखिर प्रिंयका ने अब तक चुनावी मैदान से किनारा करके क्यों रखा? तो आइए आपको बताते हैं कि गांधी नेहरू परिवार के चुनावी डेब्यू के बारे में बताते है.
सबसे पहले चुनावी राजनीति में एंट्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ली. ये बात तब कि है जब देश आजाद नहीं हुआ था. नेहरू जी 1912 में अपनी पढाई पूरी करके लौटे और राजनीति का हिस्सा बन गए. जब देश आजाद हुआ तो वह देश के पहले प्रधानमंत्री बने. यहीं वो समय था जब आजाद भारत की राजनीति में गांधी नेहरू परिवार की एंट्री हुई. तब नेहरू जी की उम्र 62 साल थी.
फिरोज गंधी ने इंदिरा गांधी से शादी की जिसके बाद वो राजनीति में आए. पहले इन्होंने देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता आदोलन में हिस्सा लिया. इसके बाद इन्होंने आजादी के बाद पहले आम चुनाव में हिस्सा लिया. तब इनकी उम्र 40 साल थी. पहली बार इन्होंने कांग्रेस के टिकट से प्रतापगढ़ रायबरेली सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे. वहीं, 1957 के दूसरे आम चुनाव में फिर से कांग्रेस के टिकट पर संसद पहुंचे.
देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने पति के निधन के बाद ही चुनावी राजनीति में कदम रखा और 1964 मे राज्यसभा सदस्य के रूप में अपने संसदीय सफर का आगाज किया. इसके बाद इन्होंने 1967 में पहली बार रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. तब इनकी उम्र 50 साल थी. इससे पहले इन्होंने 1955 में ही एक्टिव पॉलिटिक्स में कदम रख दिया था.
इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने 1977 में अमेठी लोेकसभा सीट से चुनावी राजनीति में पहली बार एंट्री की थी तब इनकी उम्र 33 साल थी. हांलाकि ये उस समय चुनाव हार गए थे. 1980 में इन्होंने फिर से चुनावी ताल ठोकी और सांसद बने.
संजय गांधी के निधन के बाद अमेठी सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें राजीव गांधी को उम्मीदवार बनाया गया. इसके बाद 1984 और 1989 में लोकसभा चुनाव लड़े और सांसद बने. तब इनकी उम्र 36 साल थी. वहीं, इंदिरा गांधी की मौत के बाद यह देश के प्रधानमंत्री बने.
मेनका गांधी के पति संजय गांधी की मौत के बाद इंदिरा गांधी से इनकी अनबन हो गई. जिसके बाद इन्होंने अपनी खुद की पार्टी राष्ट्रीय संजय मंच नाम से बनाई. 1984 में इन्होंने राजीव के खिलाफ अमेठी से पहली बार चुनाव लड़ा. तब इनकी उम्र 28 साल के करीब थी. हांलाकि ये उस चुनाव में हार गई थी. इसके बाद ये कई बार सांसद और केंद्रीय मंत्री रहीं.
सोनिया गांधी ने अपने पति राजीव गांधी की हत्या के 6 साल बाद राजनीति में एंट्री ली. 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और 53 साल की उम्र में 1999 के आम चुनाव से अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर चुनावी डेब्यू किया.
राहुल गांधी ने 2004 में राजनीति में एंट्र की. पहली बार अमेठी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा तब इनकी उम्र 34 साल थी. 2019 तक ये इस सीट से सांसद रहे. हालांकि 2019 में ये चुनाव हार गए. और वायनाड से सांसद बने. इस बार भी इन्होंने वायनाड़ और रायबरेली सीट चुना है.
अपनी मां मेनिका गांधी की कमान संभालते हुए वरुण गांधी ने 1999 में पहली बार राजनीति में एंट्री की. हांलाकि 2009 में ये पहली बार पीलीभीत सीट से सांसद निर्वाचित हुए, तब उनकी उम्र 29 साल थी.
प्रिंयका गांधी ने एक्टिव पॉलीटिक्स में पहली बार 2019 में हिस्सा लिया. हालांकि 52 साल की प्रियंका गांधी ने अभी तक चुनावी राजनीति में भाग नहीं लिया है. अब ये देखना है कि ये कब चुनावी मैदान में उतरती हैं.
First Updated : Saturday, 04 May 2024