अप्रैल फूल पर विशेष : शास्त्राण्यधीत्यापि भवन्ति मूर्खा!

साथियों एवं सम्मानित देशवासियों हमारा देश बहुभाषीय, बहुजातीय और विभिन्न धर्मों/मजहबों का देश है। लेकिन इन सबके बाद भी हमारी अनेकता में एकता की पहचान किसी से छिपी नहीं है।

देवेन्द्र राघव

साथियों एवं सम्मानित देशवासियों हमारा देश बहुभाषीय, बहुजातीय और विभिन्न धर्मों/मजहबों का देश है। लेकिन इन सबके बाद भी हमारी अनेकता में एकता की पहचान किसी से छिपी नहीं है। हमारे देश में हर एक दिन की एक अलग पहचान है। जैसा कि आज 01 अप्रैल का दिन मूर्ख दिवस के रूप में जाना जाता है। अपनी संस्कृति के अनुसार हम आपस में एक-दूसरे को भांति-भांति के झूठ बोलकर मूर्ख बनाते हैं, फिर बाद में हमारे एक शब्द ‘अप्रैल फूल’ कहने से सब शांत हो जाता है। यही हमारी संस्कृति है, परंपरा है और पहचान है कि हम परिस्थितियों से समझौता कर लेते हैं। ऊपर शीर्षक में दिया गया वाक्य एक कड़वा सच है- शास्त्राण्यधीत्यापि भवन्ति मूर्खा! यानि शास्त्रों का अध्ययन करने पर भी मूर्ख होते हैं।

1 अप्रैल को दुनियाभर में मूर्ख दिवस यानी 'अप्रैल फूल डे' मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों, करीबियों या फिर परिवार के सदस्यों को बेवकूफ बनाकर सेलिब्रेट करते हैं। लोगों के साथ मजाक करने के बाद उत्साह में वो अप्रैल फूल डे कहकर चिल्लाते भी हैं। अप्रैल फूल दिवस पश्चिमी देशों में प्रत्येक वर्ष पहली अप्रैल को मनाया जाता है। कभी-कभी इसे ऑल फूल्स डे के नाम से भी जाना जाता हैं। 1 अप्रैल आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है परन्तु इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है जब एक दूसरे के साथ व्यावहारिक परिहास और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें की जाती हैं। इस दिन मित्रों, परिजनों, शिक्षकों, पड़ोसियों, सहकर्मियों आदि के साथ अनेक प्रकार की नटखट हरकतें और अन्य व्यावहारिक परिहास किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य होता है। बेवकूफ और अनाड़ी लोगों को शर्मिंदा करना।

एक अप्रैल का दिन तो और खास है इस दिन मजाकिया स्वभाव का आदमी ही नहीं हर व्यक्ति छोटे-मोटे मजाक करने से नहीं चूकता। कुछ क्षणों की बेवकूफियों का उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं, बल्कि हंसना-हंसाना होता है। इस दिन जो बेवकूफ बन जाता है उसे 'अप्रैल फूल' कहकर चिढ़ाते हैं। 'अप्रैल फूल' फिल्म के गाने की यह पंक्तियां 1 अप्रैल यानी मूर्ख दिवस के दिन सभी के जेहन में जरूर आती हैं और अपने यार-दोस्तों को मूर्ख बनाने के बाद लोग इन्हें गुनगुनाते भी हैं। इस दिन लोग बिना किसी आचार संहिता के एक-दूसरे को मूर्ख बनाने के लिए दिल खोलकर झूठ बोलकर, ऊट-पटांग बातें कहकर, झूठे आरोप लगाकर, गलत सूचनाएं आदि देकर मूर्ख बनाने के कई सारे फंडे अपनाने की कोशिश में लगे रहते हैं।

हर किसी का मकसद यही कि किसी तरह परिवार या दोस्तों को मूर्ख दिवस की टोपी पहनाई जा सके और निश्छल हंसी-मजाक का आनंद उठा सकें और दूसरों के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर सकें। दुनिया भर में हर साल 1 अप्रैल को 'अप्रैल फूल' के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हंसी, चुटकुलों और खुशियों को समर्पित दिन के तौर पर मनाया जाता है। आमतौर पर इस दिन लोग एक-दूसरे की टांग खींचते हैं और शरारतें करते हैं। लोग अपने प्रियजनों या दोस्तों को सरप्राइज करने के लिए तरह-तरह का आइडिया लगाते हैं और फिर आखिर में बताते हैं कि आप अप्रैल फूल बन चुके हैं, यह पूरा मामला नकली था।

1 अप्रैल को हम अप्रैल फूल के रूप में क्यों मनाते हैं, इसपर कई तरह की कहानियां बताई जाती हैं, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं है। इतिहासकारों के बीच कुछ सबसे प्रचलित कहानियों में से एक जूलियन कैलेंडर है। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि अप्रैल फूल का इतिहास आज से करीब 440 साल पुराना है। जब 1582 में फ्रांस ने जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था। जूलियन कैलेंडर में नया साल 1 अप्रैल को शुरू होता था। जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह 1 जनवरी हो गया। कहा जाता है कि कैलेंडर बदलने के बाद भी कई लोग 1 अप्रैल को ही नया साल मना रहे थे। उनका सेलिब्रेशन मार्च के अंतिम सप्ताह से ही शुरू होगा और 1 अप्रैल तक चलता था। इसी से वे मजाक का पात्र बन गए और उन्हें अप्रैल फूल कहा जाने लगा। आज भी कई मायनों में नया साल 1 अप्रैल से ही शुरू माना जाता है।

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31 March 2023, 06:24 PM IST

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