August 16,1947 Review: कैसी है देशभक्ती के उपर बनी ए आर मुरुगदास की फिल्म अगस्त 16 1947, हिंदी भाषा में हो रहा रिलीज

भारत के इतिहास के पन्नों पर अजादी के कई किस्सों का भरमार है। कई फिल्म निर्मताओं ने अजादी के कहानियों पर फिल्म बना चुके है। अब एन एस पोनकुमार के डायरेक्शन में बनी फिल्म 16 अगस्त 1947 हिंदी भाषा में डब होकर सिनेमाघर में रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म की कहानी देश के अजाद होने के एक दिन बाद की है।

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

हाइलाइट

  • 7 अप्रैल को देशभक्ती पर अधारित फिल्म 16 अगस्त 1947 को हिंदी भाषा में डब करके रिलीज किया गया है

साउथ के मशहूर फिल्म निर्माता ए आर मुरुगदास को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में गजनी और अकीरा जैसी बेहतरीन फिल्मों के लिए जाना जाता है। फिल्म 16 अगस्त 1947 की कहानी को एन एस पोन कुमार ने लिखा है। यह फिल्म साहस, प्रेम,और देशभक्ती की अनुठी कहानी पर दर्शाया गया है। तो आइए इस फिल्म के बारे में विस्तार से जानते है।

कैसी है फिल्म की शुरुआती कहानी

16 अगस्त 1947 फिल्म की कहानी की शुरुआत सेंगाडु के मासूम ग्रामिणों को दिखाया गया है जिसे ब्रिटिश सेना द्वारा बेरहमी से प्रतड़ित किया जाता है। फिल्म की कहानी में ब्रिटिश शासक का बेटा बेहद ही अय्याश किस्म का होता है जो गांव की सभी लड़कियों को गंदी नजर से देखता है जिस भी लड़की पर एक बार ब्रिटिश सेना के बेटे का नजर पड़ जाता है वह उसे उठवा लेता है जिस कारण सेंगाडु गांव के निवासी अपनी बेटियों को जवान होने से पहले ही जिंदा मिट्टी में दफना देते हैं। हालांकि फिल्म की कहानी में आगे सेंगाडु के मासूम ग्रामिणों की जमीर जागता है जब फिल्म 16 अगस्त 1947 के नायक यानी हिरों अपनी प्रेमिका की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासक के बेटे को जान से मार देता है। इस फिल्म की कहानी में यह घटना तब की दिखाई गई है जब भारत ब्रिटिश से अजाद हो चुका था।

फिल्म निर्देशक ने दावा किया है कि फिल्म की कहानी स्वतंत्रता संग्राम की एक खोई हुई कहानी है जो फिल्म के कहानी में दर्शाया गया है। हालांकि दर्शको को फिल्म देखने के बाद ही पता चल पाएगी की फिल्म 16 अगस्त 1947 की कहानी कैसी है।

फिल्म 16 अगस्त 1947 की कहानी में सेंगाडु गांव के निवासी को देश अजाद होने के एक दिन बाद पता चलती है कि देश अजाद हो गया है। जिसके बाद फिल्म की कहानी समाप्त हो जाती है। फिल्म 16 अगस्त 1947 की कहानी में जिस तरह मासुम गांव वालों को ब्रिटिश शासक द्वारा प्रताड़ित किया जाता है वैसे दृश्य पहले भी कई फिल्मों में दिखाया गया है। हालांकि रिलीज होने से पहले इस फिल्म को देशभक्ती, साहस और प्रेम के उपर एक अलग कहानी बताया जा रहा है लेकिन इस फिल्म में न तो दर्शकों को साहस न ही पराकाष्ठा और न ही देश भक्ती को कोई जुनून दिख रहा है जिससे दर्शक फिल्म का आनंद ले सके।

फिल्म 16 अगस्त 1947 में गौतम कार्तिक को किया गया लीड

साउथ के फेमस डायरेक्टर ए आर मुरुगदास द्वारा बनाई गई फिल्म 16 अगस्त 1947 में अभिनेता गौतम कार्तिक लीड रोल में है। गौतम कार्तिक ने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत डायरेक्टर मणि रत्नम की फिल्म कादल से की थी। गौतम कार्तिक को पैन इंडिया स्टार बनने का एक अच्छा मौका था जो ए आर मुरुगदास द्वारा बनाई गई फिल्म 16 अगस्त 1947 में अभिनय करके मिल सकता था हालांकि इस फिल्म के कई सीन में एक्टर ओवर एक्टिंग करते हुए नजर आए। इस फिल्म की नायिका की बात करें तो रेवती शर्मा 16 अगस्त 1947 फिल्म से मायानगरी में डेब्यू कर रही है। वही इस फिल्म में ब्रिटिश शासक के रोल में रिचर्ड एश्टन अपना बेहतरीन अभिनय दिखाया है। फिल्म के सभी स्टारकास्ट का अभिनय लगभग-लगभग एक समान था।

16 अगस्त 1947 फिल्म को लेखक और निर्देश एनएस पोनकुमार ने कहानी का कैनवास तो बहुत बड़ा चुना लेकिन उसे बड़े पर्दे पर ठीक ढंग से दिखा नहीं पाए। फिल्म की असली कहानी जहां से शुरु होनी था वहीं पर फिल्म को समाप्त कर दिया । दर्शकों का कहना है कि फिल्म बनाने से पहले अच्छे से रिसर्च करने की बेहद जरूरत थी। 16 अगस्त 1947 फिल्म के गाने भी उतने खास नहीं है जिसे देखने के बाद दर्शक याद रख सके।

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07 April 2023, 04:40 PM IST

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