‘छावा’ बनकर छाए विकी कौशल, दमदार एक्टिंग से संभाजी के किरदार को किया जीवंत, अक्षय खन्ना की भी हो रही तारीफ
Chhaava Review: विकी कौशल की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘छावा’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है और दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है. यह फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन और संघर्ष की कहानी पर आधारित है. फिल्म मेकर ने इसे ऐतिहासिक गाथा को भव्यता के साथ पेश किया है, जिसमें विक्की कौशल का दमदार अभिनय दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है.

Chhaava Review: विकी कौशल की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘छावा’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. यह ऐतिहासिक फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है. जहां शिवाजी महाराज की वीरता और पराक्रम को पूरा देश जानता है, वहीं उनके जांबाज बेटे की गाथा अब तक महाराष्ट्र तक ही सीमित थी. लेकिन लक्ष्मण उतेकर के निर्देशन में बनी यह फिल्म अब इस गौरवशाली इतिहास को बड़े पर्दे पर जीवंत कर रही है.
‘छावा’ की कहानी न केवल देशभक्ति की भावना से भरपूर है, बल्कि इसे विकी कौशल की अब तक की सबसे दमदार परफॉर्मेंस भी कहा जा सकता है. फिल्म की दूसरी छमाही (सेकंड हाफ) इसकी असली ताकत है, जो दर्शकों को भावुक कर देती है. जो लोग थिएटर में फिल्म देखने से पहले विकिपीडिया पर छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में पढ़कर उन्हें जज कर रहे थे, वे फिल्म देखने के बाद दिल में उनके लिए सम्मान लेकर बाहर निकलते हैं. आइए जानते हैं इस फिल्म की पूरी समीक्षा.
‘सिवा’ का ‘छावा’ औरंगजेब के सपनों का काल बना!
‘हिंदवी स्वराज्य’ छत्रपति शिवाजी महाराज का सपना था, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया. जब तक वे जीवित रहे, तब तक मुगलों का सम्राट औरंगजेब दक्षिण (दख्खन) को जीतने का सपना भी नहीं देख सका. लेकिन शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद औरंगजेब ने एक बार फिर दख्खन को जीतने की योजना बनाई.
वह यह भूल गया था कि शिवाजी महाराज ने अपने पीछे अपना "छावा" छोड़ा है—छत्रपति संभाजी महाराज. यह फिल्म दिखाती है कि कैसे संभाजी महाराज ने औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष किया, कैसे वे अपनी मृत्यु को जश्न की तरह जीते रहे और अंत में औरंगजेब को अपनी ही जीत का मातम मनाने के लिए छोड़ गए. यह गाथा साहस, बलिदान और अपराजेय इच्छाशक्ति की है. अगर आप भारतीय इतिहास के इस गौरवशाली अध्याय को बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं, तो ‘छावा’ जरूर देखें.
फिल्म कैसी है?
‘छावा’ हमें इतिहास के उस सुनहरे पन्ने तक ले जाती है, जहां तक बहुत कम लोग पहुंचे हैं. यह फिल्म सिर्फ एक बायोपिक नहीं बल्कि बलिदान, देशभक्ति और कर्तव्यपरायणता की प्रेरणादायक कहानी है. लक्ष्मण उतेकर ने इसे बखूबी पेश किया है और विकी कौशल ने इसे आत्मा से जिया है. फिल्म के एक-एक दृश्य में मराठा शौर्य और आत्मगौरव झलकता है. विकी कौशल के अभिनय ने यह साबित कर दिया है कि हमारे देश का इतिहास कितना प्रेरणादायक रहा है. कुछ हजार सैनिकों के साथ मुगलों की लाखों की सेना का सामना करना किसी चमत्कार से कम नहीं था, लेकिन संभाजी महाराज ने यह कर दिखाया. लक्ष्मण उतेकर ने इस चुनौतीपूर्ण कहानी को पूरी निष्ठा और सच्चाई के साथ प्रस्तुत किया है, जिससे हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा.
विकी कौशल ने संभाजी महाराज के किरदार को किया जीवंत
विकी कौशल की ‘छावा’ उनके करियर की बेस्ट परफॉर्मेंस कही जा सकती है. उन्होंने इस किरदार को सिर्फ निभाया नहीं बल्कि पूरी तरह से जीया है. विकी कौशल की बॉडी लैंग्वेज और संवाद अदायगी दमदार है. शेर जैसी दहाड़, योद्धा का गुस्सा, राजा का धैर्य और पिता का स्नेह – हर पहलू में परफेक्ट है.अब तक मराठी में बनी फिल्मों और टीवी सीरियल्स के मुकाबले भी यह किरदार सबसे ज्यादा प्रभावी. विकी कौशल ने अपनी एक्टिंग से यह साबित कर दिया कि वह न सिर्फ एक उम्दा कलाकार हैं, बल्कि ऐतिहासिक किरदारों को भी बेहतरीन ढंग से निभा सकते हैं.
विलेन के तौर पर अक्षय खन्ना ने मचाई सनसनी!
जब हीरो दमदार हो, तो विलेन भी उतना ही ताकतवर होना चाहिए! और इस फिल्म में अक्षय खन्ना ने यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई है. उनका किरदार इतना प्रभावी है कि दर्शक उन्हें देखकर नफरत करने लगते हैं. उनकी डायलॉग डिलीवरी और एक्सप्रेशन्स बेहतरीन हैं. फिल्म में उनकी मौजूदगी इसे और ज्यादा इंटेंस बना देती है. इसके अलावा, विनीत कुमार सिंह ने कवि कलश की भूमिका में शानदार परफॉर्मेंस दी है.
रश्मिका मंदाना की कास्टिंग पर सवाल?
फिल्म में रश्मिका मंदाना, छत्रपति संभाजी महाराज की पत्नी येसुबाई की भूमिका में नजर आई हैं. लेकिन उनकी कास्टिंग पर सवाल उठाए जा सकते हैं. उनका हिंदी एक्सेंट फिल्म में फिट नहीं बैठता. येसुबाई कोंकण से थी, लेकिन रश्मिका का लहजा हैदराबादी लगता है. मराठी टोन लाने की कोशिश नहीं की गई, जिससे किरदार में गहराई कम लगती है. जब प्रियंका चोपड़ा ने ‘बाजीराव मस्तानी’ में काशीबाई के लिए एक्सेंट पर मेहनत की थी, तो रश्मिका से भी यही उम्मीद थी.
देखें या ना देखें?
अगर आप ऐतिहासिक फिल्मों के शौकीन हैं और देशभक्ति से भरपूर कहानियों को पसंद करते हैं, तो ‘छावा’ को मिस न करें. भव्य सिनेमेटोग्राफी, दमदार बैकग्राउंड स्कोर और शानदार परफॉर्मेंस फिल्म को यादगार बनाते हैं. संभाजी महाराज के जीवन की प्रेरणादायक कहानी हर भारतीय को जाननी चाहिए. यह फिल्म ‘तान्हाजी’ और ‘बाजीराव मस्तानी’ जैसी ऐतिहासिक फिल्मों की लीग में शामिल हो सकती है.


