टॉक्सिक रिश्ते से बची, लेकिन... प्रेग्नेंसी में अपने ही शरीर से डर गईं श्वेता तिवारी, हर दिन मां से पूछती थीं बस एक सवाल!
टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी की जिंदगी जितनी ग्लैमरस दिखती है उतनी ही मुश्किलों से भरी रही है. पहली प्रेग्नेंसी में वह इतनी डर गई थीं कि हर दिन मां को फोन कर बस एक ही सवाल पूछती थीं. शादीशुदा जिंदगी किसी बुरे सपने से कम नहीं थी यहां तक कि बेटी को गोद में लेकर पुलिस स्टेशन तक जाना पड़ा. लेकिन ऐसा क्या हुआ था कि श्वेता को अपने ही शरीर से डर लगने लगा? जानिए इस भावुक कहानी को…

Entertainment World: टीवी की मशहूर एक्ट्रेस श्वेता तिवारी अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर हमेशा चर्चा में रही हैं. चाहे उनकी प्रोफेशनल सफलता हो या निजी जिंदगी की मुश्किलें, उन्होंने हमेशा खुलकर अपनी बातें साझा की हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपनी पहली प्रेग्नेंसी के दौरान श्वेता इतनी डरी हुई थीं कि हर दिन अपनी मां को फोन कर सिर्फ एक ही सवाल पूछती थीं? इसके पीछे की वजह भी उतनी ही चौंकाने वाली है.
प्रेग्नेंसी में खुद को देखकर डर जाती थीं श्वेता
श्वेता तिवारी ने 18 साल की उम्र में राजा चौधरी से शादी कर ली थी. शादीशुदा जिंदगी उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी. 20 साल की उम्र में जब उन्होंने बेटी पलक को जन्म दिया तो उनकी बॉडी पर स्ट्रेच मार्क्स आ गए. यह देखकर वह इतनी डर गईं कि रोजाना अपनी मां को फोन कर पूछती थीं कि क्या ये निशान कभी ठीक होंगे या हमेशा के लिए रह जाएंगे. उन्हें डर था कि अब उनका शरीर पहले जैसा नहीं रहेगा.
मां ने दिया हिम्मत
जब श्वेता हर दिन इस सवाल को लेकर परेशान होतीं तो उनकी मां उन्हें समझाती थीं कि ये स्ट्रेच मार्क्स इस बात का सबूत हैं कि उन्होंने बहुत कुछ सहा है. ये सिर्फ प्रेग्नेंसी की पहचान नहीं बल्कि उनकी जिंदगी के संघर्ष की कहानी भी हैं. हालांकि उस वक्त श्वेता को यह बातें समझ नहीं आती थीं.
शादीशुदा जिंदगी में मिली सिर्फ तकलीफ
श्वेता की पहली शादी राजा चौधरी से हुई थी लेकिन वह शादीशुदा जिंदगी में सिर्फ दर्द और तकलीफ ही झेल रही थीं. घरेलू हिंसा से परेशान होकर उन्होंने तलाक ले लिया. इसके बाद उन्होंने दूसरी शादी अभिनव कोहली से की लेकिन यह रिश्ता भी ज्यादा नहीं चला.
पति की मार खाना आम बात नहीं!
श्वेता ने अपने इंटरव्यू में बताया कि जब पहली बार उन्होंने तलाक लिया, तो समाज ने उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया. लोग कहते थे कि "पति नहीं संभाल पाई", लेकिन कोई यह नहीं कहता कि "पति ने गलत किया". श्वेता ने खुलकर कहा कि हमारा समाज औरतों को सिखाता है कि पति की मार सहना आम बात है, लेकिन असल में यह बिल्कुल गलत है.
बेटी ने छोटी उम्र में देख लिया मां का दर्द
श्वेता की बेटी पलक तिवारी ने बहुत कम उम्र में अपनी मां की तकलीफें देखीं. 6 साल की उम्र में उसने अपनी मां को मार खाते हुए देखा. कई बार श्वेता को अपनी बेटी को गोद में लेकर पुलिस स्टेशन तक जाना पड़ा. यह सब एक बच्चे के लिए कितना बड़ा ट्रॉमा हो सकता है इसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है.
बेटा भी समझ चुका है अदालत और पुलिस का मतलब
श्वेता का चार साल का बेटा रेयांश भी पुलिस, कोर्ट और जज का मतलब समझ चुका है. उन्होंने कहा, 'ये सब मेरी गलती नहीं थी लेकिन फिर भी मेरे बच्चों को इस दर्द से गुजरना पड़ा.' यह उनके लिए सबसे बड़ा दुख है कि वह अपने बच्चों को इन चीजों से दूर नहीं रख पाईं.
सिंगल पेरेंट होना टॉक्सिक रिलेशनशिप से बेहतर
श्वेता तिवारी ने कहा कि उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा और अब अपनी जिंदगी अपने बच्चों के लिए जी रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एक टॉक्सिक रिलेशनशिप में रहने से अच्छा है कि इंसान अकेले ही रहे और अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करे.
बच्चों ने खुद लिया फैसला
श्वेता ने कभी अपने बच्चों को उनके पिता से मिलने या बात करने से नहीं रोका लेकिन उन्होंने खुद ही दूरी बना ली. पलक और रेयांश अपने पापा से बात नहीं करना चाहते क्योंकि उन्होंने अपनी मां का दर्द बहुत करीब से देखा है. श्वेता तिवारी की यह कहानी सिर्फ एक सेलिब्रिटी की नहीं बल्कि उन हजारों महिलाओं की है जो समाज के ताने सहकर भी अपनी जिंदगी के लिए लड़ती हैं. उनका सफर हमें सिखाता है कि हिम्मत और आत्मसम्मान से हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है.