उजड़ी महफिलें, खत्म हुआ रुतबा... फिर कोठे से बाहर निकली तवायफें, टैलेंट से बनाया फिल्म इंडस्ट्री में नाम

Tawaif Ka Kissa: देश की आजादी से पहले फिल्म इंडस्ट्री को बनाने में कुछ हुनरमंद महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है जिसमें से कुछ तवायफें भी हैं. तवायफों ने अपने हुनर को ऐसा निखारा कि फिल्म इंडस्ट्री एक बड़ा नाम बना गया.

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Tawaif Ka Kissa: संजय लीला भंसाली की वेबसीरीज हीरामंडी रिलीज होने के बाद से तवायफों के कई किस्से इंटरनेट पर देखने को मिल रहा हैं. इस वेब सीरीज को देखने के बाद से तवायफ शब्द काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. हर दिन तवायफों से जुड़ी कुछ दिलचस्प स्टोरी इंटरनेट पर देखने को मिलती है. इस बीच आज हम आपको उन तवायफों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तो चलिए जानते हैं.

फिल्म इंडस्ट्री को अर्श से फर्श तक पहुंचाने में कुछ महिलाओं ने अहम योगदान दिया जिसमें से कुछ तवायफों का नाम भी शामिल हैं. ये वो तवायफें हैं जो कोठे से बाहर निकली तो कल्चर की विरासत अपने साथ सहेजकर लाई थी.

जब अंग्रेजों ने खामोश कर दी तवायफों के घुंघरुओं की झनकार

1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने भारतीयों पर जुल्म करना शुरू कर दिया. सबसे पहले अंग्रेजो ने नवाबों और रियासतों पर लगाम लगाया जिसका सीधा असर कोठे पर भी देखने को मिला. जहां संगीत और नृत्य के जीवन केंद्र थे वो नवाबों और रइसों के बिना उजड़ गए. धीरे- धीरे ये महफिल बदनाम होते चली गई. अंग्रेजों के अत्याचार के कोठे की रौनक दम तोड़ने लगी. जिन तवायफों के शाही रुतबे थे उन्हें अपनी जिंदगी चलाने के लिए नए रास्ते तलाशने लगे. इसी दौरान कोठे से एक से एक हुनरबाज निकली जो फिल्म इंडस्ट्री को बनाने में अपना अहम योगदान दिया.

फातमा बेगम

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की पहली फीमेल डायरेक्टर थी. उनका जन्म भारत में एक उर्दू भाषी मुस्लिम परिवार में हुआ था. माना जाता है कि उनकी शादी सचिन स्टेट के नवाब सिद्धी इब्राहिम मोहम्मद याकूत खान तृतीय से हुई थी. हालांकि असल में वो एक तवायफ घराने से ताल्लुक रखती थी. फातमा बेगम एक भारतीय अभिनेत्री, निर्देशक और पटकथा लेखिका थी. उन्होंने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस, फातमा फिल्म्स लॉन्च किया था जो बाद में विक्टोरिया-फातमा फिल्म्स के नाम से जाना गया. फातमा ने 1926 में अपनी पहली फिल्म बुलबुल-ए-परिस्तान का निर्देशन किया था.

जद्दनबाई

जद्दनबाई भी कोठे से निकलकर अपनी अलग पहचान बनाई, वो भारतीय सिनेमा की पहली फीमेल म्यूजिक कंपोजर मानी जाती हैं. जद्दनबाई हुसैन का जन्म साल 1892 में इलाहाबाद के कोठे पर हुआ था. जद्दनबाई बॉलीवुड की शुरुआती गायिका, संगीतकार, अभिनेत्री, फिल्म निर्माता के रूप में जानी जाती हैं. वह मशहूर अभिनेत्री नरगिस की मां और संजय दत्त की नानी थी. साल 19933 में उन्होंने एक्टिंग की शुरुआत भी की और कुछ फिल्मों में काम करने के बाद संगीत फिल्म्स नाम से एक प्रोडक्शन हाउस शुरू कर दिया.

नसीम बानो

नसीम बानो भी तवायफ घराने से ताल्लुक रखती हैं. नसीम बानू का जन्म रोशन आरा बेगम के रूप में पुरानी दिल्ली की तवायफ कम्युनिटी के परिवार में हुआ था. उनकी मां का नाम छमिया बाई था जो मशहूर तवायफ के साथ साथ मशहूर सिंगर भी थी. नसीम उस दौर में सबसे ज्यादा मशहूर और अच्छी कमाई करने वाली गायिका थी. नसीम ने अपने बचपन के दोस्त आर्किटेक्ट मियां एहसान-उल-हक से शादी की थी जिनसे उन्हें दो बच्चे, एक बेटी सायरा बानो एक बेटा स्वर्गीय सुल्तान अहमद हुआ था. नसीम बानो की बेटी सायरा बानो भी उनकी तरह मशहूर एक्ट्रेस हैं.

First Updated : Friday, 31 May 2024