बॉलीवुड के ‘पागल’ डायरेक्टर की ऐसी फिल्म जिसने हिला दी थी दुनिया, 14 साल में हुई तैयार, इतना पैसा बहाया कि बन जाती 20 फिल्में
K Asif Birthday: ‘मुगल-ए-आजम’ बॉलीवुड की एक ऐसी फिल्म है जिसे आज भी सलाम किया जाता है. इसके बनने के पीछे जो डायरेक्टर का जुनून था उसकी मिसाल अभी कहीं भी देखने को नहीं मिलती. फिल्म के डायरेक्टर के आसिफ (K Asif) का जन्मदिन है. इस मौके पर हम आपको कुछ दिलचस्प जानकारी देने जा रहे हैं.
हाइलाइट
- संगीतकार नौशाद ने फेंक दिया था नोटों से भरा ब्रीफकेस
- आधी Black & White और आधी कलर है फिल्म मुगल-ए-आजम
- तपती रेत में नंगे पांव चलने से पृथ्वीराज कपूर के पैर में पड़ गए थे छाले
K Asif Birthday: कुछ लोग बहुत जिद्दी किस्म के होते हैं, जिन्हें कभी-कभार पागल भी कह दिया जाता है. इसी तरह का ‘एक पागल’ बॉलीवुड में भी पाया गया. जो अपनी जिद के आगे किसी की नहीं सुनता था, भले ही उसको अपनी बात मनवाने के लिए लोगों के आगे हाथ जोड़ने पड़ें. हम बात कर रहे हैं मशहूर डायरेक्टर के. आसिफ (Director K Asif) की. जिनका पूरा नाम करीमुद्दीन आसिफ है. करीमुद्दीन आसिफ की डायरेक्शन को पूरा बॉलीवुड सलाम करता है. क्योंकि उन्होंने बॉलीवुड को एक ऐसी फिल्म दी है जिसके चर्चे आज भी खत्म नहीं होते. हम बात कर रहे हैं मुगल-ए-आजम (Mughal E Azam) की.
मुगल-ए-आजम बॉलीवुड की एक ऐसी फिल्म है जिसके पीछे अनगिनत हैरान कर देने वाली कहानियां हैं. इस फिल्म को बनाने के जुनून का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह फिल्म तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुई थी. जबकि जिन दिनों में यह फिल्म बनी थी उस वक्त एक आम फिल्म 5 से 10 लाख रुपये में बन जाया करती थी. लेकिन डायरेक्टर के आसिफ ने पानी की तरह पैसा बहाया. हालांकि सिर्फ पैसा बहा देना अच्छी फिल्म की निशानी नहीं होती. मुगल-ए-आजम के डायरेक्टर के आसिफ ने चंद फिल्में ही बनाई हैं लेकिन उनको हमेशा मुगल-ए-आजम के लिए पहचाना जाता है.
नौशाद ने फेंक दिया था नोटों से भरा ब्रीफकेस
फिल्म के संगीत के लिए डायरेक्टर के. आसिफ उस वक्त के मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद के पास नोटों से भरा हुआ ब्रीफकेस लेकर गए थे. ब्रीफकेस नौशाद को देते हुए कहा कि वो इस फिल्म के लिए बेहतरीन और यादगार संगीत चाहते हैं. हालांकि नौशाद को यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने नोटों से भरे ब्रीफकेस को यह कहते हुए फेंक दिया था कि बेहतरीन म्यूजिक पैसों से नहीं आता. नौशाद का यह रुख देखकर के आसिफ को शर्मिंदगी हुई. जिसके बाद उन्होंने नौशाद से माफी मांगी और उनको मुगल-ए-आजम का म्यूजिक देने के लिए राजी कर लिया.
बड़े गुलाम अली साहब ने मांगे थे 25 हजार रुपये
फिल्म को लेकर एक किस्सा भी बहुत मशहूर है कि नौशाद ने के आसिफ से कहा था कि वो गाने के लिए बड़े गुलाम अली साहब की आवाज चाहते हैं. बस फिर क्या था के आसिफ बड़े गुलाम अली साहब के पास गए और वहां जाकर अपनी पेशकश रखी लेकिन बड़े गुलाम अली साहब ने गाने से इनकार कर दिया और कहा कि वो फिल्मों के लिए नहीं गाते. लेकिन के आसिफ उनसे जिद करते रहे. जिसके बाद परेशान होकर बड़े गुलाम अली साहब ने के आसिफ से इतने पैसे मांग लिए जो बहुत ज्यादा था. बड़े गुलाम अली साहब ने के आसिफ से फिल्म में गाने के लिए 25000 रुपये मांगे थे. जबकि उन दिनों लता मंगेशकर और मो. रफी जैसे दिग्गज गाने के लिए सिर्फ 300-500 रुपये लिया करते थे. हालांकि के. आसिफ को हर कीमत पर बड़े गुलाम अली साहब की आवाज चाहिए थी. जिसके चलते उन्होंने उसी वक्त 10 हजार रुपये एडवांस के तौर पर दे दिए.
आधी Black & White और आधी कलर है फिल्म:
मुगल-ए-आजम फिल्म रिलीज के वक्त आधी ब्लैक एंड व्हाइट थी और आधी रंगीन. दरअसल इस फिल्म को बनने में 14-15 साल का वक्त लगा. इस दौरान रंगीन फिल्में बनाने की टेक्नोलॉजी आ चुकी थी. जिसके बाद फैसला लिया गया कि फिल्म को दोबारा शूट किया जाएगा ताकि पूरी फिल्म रंगीन हो लेकिन बजट और समय ज्यादा हो जाने की वजह से इस दिशा में कदम आगे नहीं बढ़ाए गए और फिल्म अपनी रिलीज के वक्त आधी ब्लैक एंड व्हाइट और आधी रंगीन थी.
तपती रेत में नंगे पांव चलने से पड़ गए थे छाले:
फिल्म के एक सीन में पृथ्वीराज चौहान को रेगिस्तान के तपते हुए रेत में नंगे पांव चलना था. कहा जाता है कि इस सीन की वजह से पृथ्वीराज चौहान के पांव में छाले भी पड़ गए थे. इस बारे में जब के आसिफ को पता चला तो वो खुद भी नंगे पांव जाकर कैमरे के पीछे खड़े हो गए.
एक फिल्म के बजट में तैयार हुआ ‘प्यार किया तो डरना क्या’
कहा जाता है कि फिल्म का मशहूर गाना ‘प्यार किया तो डरना तो क्या’ में ही सिर्फ 10 लाख रुपये का खर्च आया था. जबकि उन दिनों में इतने रुपयों में एक फिल्म बनकर तैयार हो जाया करती थी.
प्रोड्यूसर्स ने गिरवी रख दिए थे घर:
फिल्म बनाते वक्त शायद अंदाजा नहीं था कि इस पर इतना खर्च आ जाएगा. कहा जाता है कि 20 से ज्यादा फिल्मों का बजट इस अकेली फिल्म में लगा हुआ था. ऐसे में जाहिर है कि प्रोड्यूसर्स बुरी तरह कर्ज में डूब गए थे. यहां तक कि घर तक भी गिरवी रखने पड़े थे. लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो मेकर्स ने राहत की सांस ली क्योंकि फिल्म ने झंडे गाड़ दिए थे.