मधुरा जसराज: संगीत की अनमोल धरोहर और संतूर की पहली आवाज का हुआ अंत
Madhura Jasraj passes away: पंडित जसराज की पत्नी, मधुरा जसराज का निधन 86 वर्ष की आयु में हो गया. वे केवल वी शांताराम की बेटी नहीं बल्कि संगीत की एक अनमोल प्रतिभा थीं. संतूर को फिल्म संगीत में लाने का श्रेय उन्हें ही जाता है. मधुरा जी की पहचान पंडित शिवकुमार शर्मा से जुड़ी एक खास कहानी से भी है जिसने उनके जीवन में बड़ा मोड़ लाया. उनके योगदान और संगीत की समझ आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेगी. जानें कैसे मधुरा जी ने भारतीय फिल्म संगीत में अमिट छाप छोड़ी.
Madhura Jasraj passes away: पंडित जसराज की पत्नी, मधुरा जसराज अब हमारे बीच नहीं रहीं. 86 वर्ष की आयु में उनका निधन संगीत की दुनिया में एक बड़ा नुकसान है. उन्हें केवल वी शांताराम की बेटी या पंडित जसराज की पत्नी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि वे स्वयं में एक विलक्षण प्रतिभा थीं. उनका योगदान, खासकर संतूर को फिल्म संगीत में लाने में अतुलनीय है.
मधुरा जी का संगीत में रुचि का सफर पचास के दशक में शुरू हुआ. एक प्रतिष्ठित संगीत समारोह में पंडित शिवकुमार शर्मा, जो तब सिर्फ 17-18 वर्ष के थे, उन्होंने संतूर बजाने का फैसला किया. उन्होंने सोलो तबला बजाने का भी आग्रह किया जबकि उनके साथ उस्ताद अल्लारखा और अन्य बड़े कलाकार मौजूद थे.
उस कार्यक्रम में मधुरा जी भी शामिल थीं और संतूर की धुन ने उन्हें गहराई से छू लिया था. उन्होंने अपने पिता को संतूर के बारे में बताया, जिसके बाद वी शांताराम ने शिवकुमार शर्मा को फिल्म 'झनक झनक पायल बाजे' के लिए बुलाया.
एक महत्वपूर्ण टेलीग्राम
जब पंडित शिवकुमार शर्मा को वी शांताराम का टेलीग्राम मिला, तब उन्होंने पहले इम्तिहान का हवाला देकर माफी मांगी. लेकिन किस्मत ने उन्हें फिर से एक मौका दिया. राजकमल स्टूडियो से आया टेलीग्राम 'कम टू बंबई' उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ बना. फिल्म में शास्त्रीय नृत्य संगीत के महान कलाकारों के बीच, पंडित शिवकुमार शर्मा ने संतूर बजाया और इसका श्रेय मधुरा जी को जाता है.
विवाह का सफर
पंडित जसराज का मधुरा जी से विवाह भी संगीत के जरिए ही हुआ. एक इंटरव्यू में जसराज ने बताया कि कैसे मधुरा जी ने उनके संगीत की तारीफ की थी और यह उनकी पहली मुलाकात का आधार बना. दोनों के संस्कार उनके बच्चों, सारंग देव और दुर्गा जसराज में भी नजर आते हैं जो खुद संगीत से जुड़े हुए हैं.
मधुरा जी का अमिट योगदान
पंडित जसराज का निधन चार साल पहले हुआ लेकिन मधुरा जी की संगीत समझ और योगदान हमेशा याद रखे जाएंगे. वे केवल एक कलाकार की पत्नी नहीं बल्कि संगीत की एक सशक्त आवाज थीं, जिसने भारतीय फिल्म संगीत को नया आयाम दिया. उनकी विरासत आगे बढ़ती रहेगी और उनके योगदान को संगीत प्रेमियों द्वारा सदैव याद रखा जाएगा.