Mira Nair Birthday: मीरा नायर अपनी हर फिल्म से लगाती हैं 'आग', जानिए फिल्ममेकिंग में कैसे हासिल की कामयाबी?
Mira Nair Birthday: मीरा नायर की शैली अलग है क्योंकि वह अपनी प्रत्येक फिल्म में एक अलग ट्रेडमार्क स्थापित करती हैं. हम आज मीरा नायर के जीवन के सफर के बारे में बात करेंगे.
Mira Nair Birthday: 15 अक्टूबर 1957 को राउरकेला, उड़ीसा (अब ओडिशा) में जन्मी मीरा नायर किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। वह उन फिल्ममेकर्स में से एक हैं जिनकी हर फिल्म सुर्खियां बटोरती है। इसके अलावा, उन्होंने अपनी फिल्मों के लिए अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते हैं। बर्थडे स्पेशल में हम आपको मीरा नायर की जिंदगी के कुछ किस्सों से रूबरू करा रहे हैं.
अधिकारी थे मीरा के पिता
मीरा के पिता अमृत लाल नायर भारतीय प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे वहीं, उनकी मां परवीन नायर एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. मीरा नायर ने लोरेटो कॉन्वेंट, शिमला से पढ़ाई की. वहीं उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन दिल्ली के मिरांडा हाउस से की. जब मीरा 19 साल की थीं, तब उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिली, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया.
मीरा ने दो बार शादी की
मीरा नायर प्रोफेशनल लाइफ के साथ साथ अपनी पर्सनल लाइफ के लिए भी काफी सुर्कियों में रही हैं. मीरा ने में दो बार शादी की. उनकी पहली शादी मिच एपस्टीन से हुई थी. दोनों की मुलाकात 1977 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फोटोग्राफी क्लास के दौरान हुई थी. हालांकि, 1987 के दौरान उनका तलाक हो गया. इसके बाद 1988 में मीरा नायर ने इंडो-युगांडा के राजनीतिक वैज्ञानिक महमूद ममदानी से शादी की. दोनों का एक बेटा ज़ोहरान ममदानी है.
हर फिल्म रही चर्चा में
यूं तो हर कोई फिल्ममेकर फिल्म बनाता है, लेकिन मीरा नायर ने अब तक जितनी भी फिल्में की हैं वो चर्चा का विषय रही हैं. कहानी को अलग अंदाज में पेश करने की उनकी प्रतिभा दर्शकों को आकर्षित करती है. अब तक उन्होंने 'कामसूत्र', 'सलाम बॉम्बे', 'मिसिसिपी मसाला' और 'द नेमसेक', 'मानसून वेडिंग', 'वैनिटी फेयर' 'पंगा' जैसी फिल्में बनाई हैं और अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रही हैं.
एक सपना जो अधूरा रह गया!
मीरा नायर ने अपनी सभी इच्छाएं पूरी की हैं, लेकिन उनका एक सपना आज तक अधूरा है. दरअसल, वह बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और जॉनी डेप के साथ एक ड्रीम प्रोजेक्ट बनाना चाहती थीं. इस फिल्म का नाम शांताराम था, जो एक उपन्यास पर आधारित थी. इस फिल्म को लेकर 2008 के दौरान बातचीत शुरू हो गई थी, लेकिन कभी हड़ताल तो कभी अन्य कारणों से यह फिल्म आगे नहीं बढ़ पाई और बंद हो गई.