K Asif: बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक डायरेक्टर हैं और रहे हैं लेकिन के आसिफ का नाम जब लिया जाता है तो सभी की नजरों में इज्ज़त का भाव आ जाता है. के आसिफ ने यूं तो चंद फिल्में ही बनाई हैं और उन्हें कोई जानता भी नहीं है लेकिन उनकी एक फिल्म 'मुगल-ए-आजम' रहस्यों और हैरानियों से भरी पड़ी है. इस फिल्म को बनाने के लिए के आसिफ ने जिस तरह की मेहनत, लगन दिखाई वो उसकी मिसाल आज तक देखने को मिलती है. साथ ही यह फिल्म अपने जमाने की सबसे महंगी फिल्म थी जो 1.5 करोड़ रुपये में 14 वर्षों में बनकर तैयार हुई थी.
मुगल-ए-आजम जब बन रही थी तो अनगिनत ऐसी घटनाएं हुई हैं जिन्हें जानकर लोग बाद में हैरान हुए हैं और आज तक सोचते हैं. के आसिफ इस फिल्म को बनाने के लिए किसी भी तरह की गुंजाइश बाकी नहीं रख रहे थे. चाहे पैसा और समय कितने भी लगे. के आसिफ ने बड़े गुलाम अली खां साहब को इस फिल्म में तानसेन की आवाज बनने के लिए उस वक्त 25 हजार रुपये दिए थे जब मोहम्मद रफी जैसे दिग्गज सिंगर 300 रुपये में गाना गाया करते थे. इसकी वजह थी कि बड़े गुलाम अली खां साहब गाने के लिए मान रहे थे.
दरअसल संगीतकार नौशाद ने के आसिफ के सामने फरमाइश रखी कि फिल्म में तानसेन जी की आवाज की जरूरत है. जिसके बाद के आसिफ ने कहा कि अब तानसेन तो हैं नहीं ऐसे में मौजूदा (उस वक्त के) तानसेन से गाने के लिए बात की जाए. लेकिन बड़े गुलाम अली खां साहब फिल्मों के लिए नहीं गाते थे. शायद वो फिल्मी संगीत को अपने कद के बराबर नहीं मानते थे. जैसे ही के आसिफ ने गाने के लिए कहा तो खां साहब ने इनकार कर दिया. बहुत ज्यादा जिद करने के बाद खां साहब ने गाने की बहुत ज्यादा कीमत बताई. ताकि के आसिफ उम्मीद छोड़कर चले जाएं लेकिन ऐसा नहीं हुआ, के आसिफ ने बड़े गुलाम अली खां साहब मुंह मांगी रकम 25 हजार रुपये दिए.
इसके अलावा इस फिल्म का एक छोटा सा सीन फिल्माने में 7 दिन लग गए थे. उसकी वजह थी फिल्म की एक्ट्रेस मधुबाला की हंसी. जी हां इस सीन में शहंशाह अकबर, उनकी पत्नी महारानी जोधाबाई और सलीम के सामने अनारकली यानी मधुबाला खड़ी थी. इस सीन में मधुबाला को बेबस और लाचार नजर आना था लेकिन वो ऐसा नहीं कर पा रही थीं. उनके हाव भाव सीन की जरूरत के हिसाब से नहीं थे. मधुबाला बार-बार हंस जाया करती थीं. जिसके चलते यह सीन डिले हो जाता था. ऐसे करते-करते इस सीन को फिल्माने 7 दिन लगे थे. First Updated : Friday, 14 June 2024