Majrooh Sultanpuri: मजरूह सुल्तानपुरी उर्दू भाषा के दिग्गज शायर और गीतकारों में शुमार किए जाते हैं. शुरुआती दिनों में मजरूह सुल्तानपुरी सिर्फ मुशायरे पढ़ा करते थे लेकिन बाद में उन्होंने फिल्मों के लिए भी लिखना शुरू कर दिया और फिल्मों में एक से बढ़कर एक गीत लिखे. यहीं से उन्होंने दुनियाभर में अपना अलग पहचान बनाई. आज हम आपको मजरूह सुल्तानपुरी की जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं.
कैसे हुए फिल्मों में एंट्री?
मजरूह सुल्तानपुरी साहब ने फिल्मों 50 से भी ज्यादा वर्षों तक फिल्मों के लिए लिखा है. कहा जाता है कि उन्होंने नौशाद से लेकर जतिन-ललित तक के समय तक तकरीबन 50 से ज्यादा फिल्मों के लिए गाने लिखे हैं. कहा जाता है कि 1945 में मजरूह सुल्तानपुरी एक मुशायरे में हिस्सा लेने के लिए मुंबई गए थे. जहां उनको खूब दाद मिली. मुशायरे सुनने वालों में दिग्गज प्रोड्यूसर एआर कारदार भी शामिल थे. एआर कारदार ने मजरूह सुल्तानपुरी की मुलाकात नौशाद साहब से करवाई. नौशाद ने पहली ही मुलाकात में मजरूह सुल्तानपुरी को एक धुन सुनाई और कहा कि वो इस धुन पर कुछ लिखें.
कविताओं के लिए जाना पड़ा जेल, घर की हालत हुई खराब
मजरूह सुल्तानपुरी को उनकी कविताओं के चलते एक बार जेल में डाल दिया गया था. यह बात साल 1949 की है. हालांकि उनसे कहा गया था कि अगर वो माफी मांग लेते हैं उन्हें माफ कर दिया जाएगा लेकिन मजरूह साहब ने माफी मांगने से इनकार कर दिया था. उनके जेल में रहने की वजह से घर की आर्थिक हालत भी बेहद नाजुक हो गई थी. ऐसे हालात में दिग्गज एक्टर राजकपूर साहब ने उन्हें काम दिया और एक गाना लिखवाकर उसका मेहनताना उनके घर भिजवाया. जिससे उनको थोड़ी आर्थिक मदद मिली. यह गाना था, “इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल”।
मजरूह सुल्तानपुरी के चंद गाने:
मजरूह सुल्तानपुरी के ज़रिए लिखे गए गानों को आज भी बहुत सम्मान की निगाहों देखा जाता है. उनके ज़रिए लिखे गए गानों की लिस्ट नीचे है.
➤ चुरा लिया है तुमने जो दिल को
➤ गुम है किसी के प्यार में
➤ मेरी भीगी-भीगी सी
➤ ओ हंसनी
➤ हमें तुमसे प्यार कितना
➤ क्या हुआ तेरा वादा
➤ बचना ए हसीनो
➤ पत्थर के सनम
➤ कितना प्यारा वादा है
First Updated : Friday, 16 June 2023