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हुस्न का बाज़ार 'हीरामंडी' क्यों हैं चर्चा में, क्या है इसका इतिहास, पढ़िए सबकुछ

Heeramandi: हीरामंडी जब से रिलीज हुई है तब से हर तरफ बस उसकी ही चर्चा हो रही है. यहां पढ़िए कैसे एक तवायफ आजादी की लड़ाई में योगदान दे रही थी?

JBT Desk
Edited By: JBT Desk

Heeramandi: संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं, इसके पीछे की वजह है उनकी फिल्मों की कहानी. संजय लीला भंसाली अब एक नई सीरीज लेकर आए हैं. इसी के साथ एक बार फिर से कहानी की चर्चा हर तरफ होने लगी है. 1 मई को नेटफ्लिक्स पर हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार रिलीज हुई, तभी से हर तरफ इसको लेकर बातें होने लगी है. सीरीज में दिखाया गया है कि जब अंग्रेजों का भारत गुलाम था उस वक्त एक जगह थी जहां पर तवायफों का अपना अलग सिक्का चलता था. आज आपको बताएंगे कि आखिर इस जगह का इतिहास क्या है.

हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार की कास्ट

संजय लीला भंसाली की हीरामंडी रिलीज हुई हैं, इसके कुल 8 एपिसोड हैं. जिसमें मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, ऋचा चड्ढा, अदिति राव हैदरी, संजीदा शेख और शर्मिन सहगल प्रमुख भूमिकाओं में हैं. आठ-एपिसोड की इस सीरीज में आजादी से पहले भारत के दौरान लाहौर के हीरा मंडी के रेड-लाइट जिले में वेश्याओं की असल जीवन की कहानी है, जो अभी भी वहां पर मौजूद है. इसमें दिलचस्प बात ये भी है सिरीज में दिखाया गया कि तवायफों ने भी आजादी की लड़ाई में अपना पूरा योगदान दिया.  

Heeramandi
 

हीरामंडी की असली कहानी क्या है? 

हीरामंडी, मूल रूप से एक अनाज बाजार, का नाम मुगल काल के दौरान लाहौर के प्रधान मंत्री हीरा सिंह के नाम पर रखा गया था. मुगल काल के दौरान, यह एक सांस्कृतिक केंद्र में बदल गया जहां अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और भारतीय उपमहाद्वीप जैसे विभिन्न स्थानों से वेश्याएं आया करती थीं. जिसके बाद इस क्षेत्र का वास्तविक सांस्कृतिक महत्व कहीं खो गया. इसमें इतना बदलाव आया कि यह धीरे-धीरे वेश्यावृत्ति के लिए जाना जाने लगा. इसमें सबसे ज्यादा बदलाव अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण और उसके बाद मुगल काल के पतन के बाद आया. 

पाकिस्तान में बनी है हीरामंडी

हीरामंडी को शाही मोहल्ला या शाही नेबरहुड भी कहा जाता है. महाराजा रणजीत सिंह ने दरबारियों की संस्कृति सहित मुगल रीति-रिवाजों को फिर से शुरू करने का फैसला किया. हीरामंडी तब सुर्खियों में आया जब ब्रिटिश सरकार ने इसे अपने सैनिकों के लिए वेश्यालय में बदल दिया. हालाँकि बाद में इसे बदलकर लाहौरी गेट और टैक्सली गेट कर दिया गया. 20वीं सदी के अंत में वेश्यावृत्ति को ख़त्म करने की हर संभव कोशिश की गई लेकिन यह ख़त्म नहीं हुई बल्कि लाहौर की दूसरी जगह पर जारी रही. 

Lahore
 

अब कैसी है हीरामंडी?

पहले यह बाजार खुलेआम वेश्यावृत्ति के लिए जाना जाता था, लेकिन बदलते समय के साथ इसकी पहचान में कई बदलाव किए गए. आज के समय में हीरामंडी की यौनकर्मी 'एस्कॉर्ट सेवाएं' प्रदान करने के लिए सोशल मीडिया और कई ऐप्स का उपयोग करके बदलते समय के अनुसार खुद को ढाल चुकी हैं. आज हीरामंडी दोहरी पहचान के साथ खड़ी है, दिन में एक नियमित बाजार के रूप में दिखती है और रात में रेड लाइट एरिया में तब्दील हो जाती है. 

भंसाली को कैसे आया आइडिया? 

हीरामंडी के बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं, इसके लिए करीब 14 साल पहले लेखक मोईन बेग ने इसे पर्दे पर लाने का आइडिया निर्देशक संजय लीला भंसाली को दिया था. उन्होंने कहा कि लाहौर के हीरा मंडी इलाके में रहने वाली वेश्याओं के इर्द-गिर्द एक फिल्म बननी चाहिए. लाहौर में हीरा मंडी नाम की एक जगह है और उर्दू में हीरा मंडी का मतलब हीरे की मंडी होता है. 

तवायफ़ों की कैसी रही जिंदगी?

सीरीज में तवायफों का नवाबों के साथ रिश्तों के बारे में ही नहीं बताया गया है, बल्कि यहां पर दूसरा पहलू भी है जिसमें आजादी की लड़ाई में तवायफों के रोल को बताया गया है. सिरीज में भंसाली ने एक कैरेक्टर रखा है जिसका नाम बिब्बो जान हैं, पूरी सीरीज में उनके किरदार को आजादी की लड़ाई के लिए पैसे देते दिखाया गया, साथ ही ये भी दिखाया गया कि वो कैसे अंग्रेजों की जानकारी नवाबों से निकलवाने का काम करती थीं. ब्रिटिश राज के दौरान उनके जीवन को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसने शहर के इतिहास पर एक छाप छोड़ी है. 

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03 May 2024, 09:25 AM IST

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