हल्दी के गुणों के बारे में तो आप जानते ही होंगे। आपके किचन में रखा पीला मसाला जिसे हल्दी कहते हैं, कई औषधीय गुणों से भरपूर है। लेकिन हल्दी केवल पीली नहीं होती, काली हल्दी भी सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है। देखा जाए तो काली हल्दी पीली हल्दी से ज्यादा फायदेमंद है। काली हल्दी में सेहत के लिए लाभकारी कई तरह के न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो शरीर को ना केवल स्वस्थ रखते हैं बल्कि कई गंभीर बीमारियों को भी दूर रखने में सहायता करते हैं। चलिए आज जानते हैं कि काली हल्दी के पोषक तत्व क्या हैं और काली हल्दी किस तरह सेहत को फायदा पहुंचाती है।
काली हल्दी के पोषक तत्व
का वैज्ञानिक नाम है कुरकुमा केसिया कहा जाता है और अंग्रेजी में इसे इसे ब्लैक जे डोरी कहा जाता है। बाजार में इसकी कीमत 1000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक है। देखा जाए तो काली हल्दी एंटी ऑक्सिडेंट से भरपूर तत्व है जिसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और इससे कई बीमारियां दूर होती हैं। काली हल्दी में कई तरह के विटामिन्स और मिनिरल्स पाए जाते हैं। ये हल्दी एंटी फंगल, एंटी अस्थमा, एनाल्जेसिक गुणों से भरपूर है इसलिए इसे अस्थमा में यूज किया जाता है। काली हल्दी अपने लोकोमोटर डिप्रेसेंट, एंटीकॉन्वेलसेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के कारण बैक्टीरिया दूर करने में कारगर है। काली हल्दी एंटी-अल्सर गुणों से समृद्ध है और इसके सेवन से मांसपेशियों का दर्द भी ठीक हो जाता है।
काली हल्दी के फायदे
काली हल्दी के एनाल्जेसिक गुणों के चलते इसके सेवन से माइग्रेन का दर्द दूर होता है। ये दिमाग की तनी हुई कोशिकाओं को रिलेक्स करती है जिससे माइग्रेन में काफी राहत मिलती है।
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस से जुड़ी अन्य बीमारियों में काली हल्दी का सेवन बहुत ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। दरसअल काली हल्दी में पाया जाने वाला करक्युमिन नामक कम्पाउंड फेफड़ों को साफ करता है और श्वास नली को संक्रमण से बचाता है। इससे निमोनिया, अस्थमा और अन्य सांस और फेफड़ों से जुड़ी दिक्कतें दूर हो जाती हैं।
प्रतिरोधक क्षमता दूर करने की बात हो तो काली हल्दी का सेवन करना लाभकारी होता है। इसके सेवन से शरीर की सुरक्षा लेयर मजबूत होती है और वो संक्रमण और मौसमी बीमारियों से लड़ने के लिए मजबूती पाता है।
पीरियड के समय पेट में होने वाला दर्द को दूर करने के लिए काली हल्दी बहुत उपयोगी है। इसे रात के समय गर्म दूध के साथ लेने से पीरियड के समय पेट के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
काली हल्दी वजन कम करने में सहायक है। दरअसल काली हल्दी डायटरी फैट को जल्दी पचाने और तोड़ने में मदद करती है। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है और एक्स्ट्रा फैट कम होने लगता है।
लिवर को डिटॉक्सिफाई करने में काली हल्दी काफी मददगार साबित होती है। इसकी मदद से लिवर एकदम साफ हो जाता है और पेट में अल्सर और संक्रमण आदि की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं। काली हल्दी के नियमित सेवन से कोलाइटिस की बीमारी में राहत मिलती है।
काली हल्दी के अंदर पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेंटरी गुणों के चलते इसके सेवन से हड्डियों के जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है। इसके सेवन से घुटने को सूजन भी कम होती है और हड्डियां मजबूत होती हैं।
काली हल्दी कैंसर के जोखिम को भी कम करती है। इसके एंटी ऑक्सिडेंट कैंसर कोशिकाओं को पनपने में मदद करने वाले फ्री रेडिकल्स का खात्मा करते हैं जिससे कोलोन कैंसर की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
स्किन से रिलेटेड बीमारी ल्यूकोडर्मा में भी काली हल्दी का बहुत फायदा है। इसका बना लोशन लगाने से त्वचा संबंधी इस बीमारी में राहत मिलती है।
काली हल्दी के पेस्ट को लगाने से सांप और बिच्छू के काटने के घाव जल्दी ठीक होने की बात कही जाती है। मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत में जनजातीय समाज में इसका उपयोग सांप बिच्छू काटने की दवा के रूप में होता आया है।
काली हल्दी दांत दर्द औऱ टॉन्सिल्स से भी राहत दिलाती है। इसके सेवन से दांत संक्रमण से दूर रहते हैं। इसके अलावा इसका नियमित उपयोग किया जाए तो दांत औऱ मसूड़ों की बीमारियां भी दूर रहती हैं।
काली हल्दी दरअसल जड़ के रूप में और पाउडर के रूप में मिलती है। अगर आप इसकी जड़ ला रहे हैं तो इसे कच्चा ही पीसकर इसका लेप यूज कर सकते हैं. बाजार में काली हल्दी का पाउडर भी मिलता है. इसे भी खाया या लगाया जा सकता है।