Typhoid Fever : क्यों होता है टाइफाइड बुखार, जानिए इसके कारण, लक्षण, बुखार में क्या खाएं, क्या नहीं

टाइफाइड बुखार बैक्टीरिया संक्रमण के चलते होता है. दूषित भोजन और पानी के संपर्क में आने पर ये बुखार होता है। यहां जानते हैं कि टाइफाइड के लक्षण औऱ उपचार क्या हैं।

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18 March 2023, 10:40 AM IST
टाइफाइड एक प्रचलित बुखार है जो लगभग किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन ज्यादातर ये बच्चों को होता है। कई दिन तक तेज बुखार रहे तो टाइफाइड के लक्षण मानकर डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी होता है। यूं तो टाइफाइड का इलाज उपलब्ध है और बच्चों को टीकाकरण के दौरान भी टाइफाइड के बचने के लिए टीका लगाया जाता है लेकिन फिर भी प्रदूषित पानी और भोजन से टाइफाइड हो जाता है। अक्सर टाइफाइड के लक्षण समझने में देर होने के कारण ये बुखार जानलेवा और गंभीर हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि इसके कारण को जानने के साथ साथ इसके लक्षणों की सही पहचान की जाए ताकि प्रारंभिक स्टेज में ही इस बुखार को तोड़ा जा सके। चलिए जानते हैं कि टाइफाइड बुखार क्यों होता है, इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके।
 
कैसे होता है टाइफाइड बुखार -
 
टाइफॉइड बुखार एक तरह का गैस्ट्रोइंटेस्टिनल इंफेक्शन  है जो साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया के संपर्क में आने पर शरीर में हो जाता है। ये बैक्टीरिया दूषित पानी और दूषित भोजन के साथ साथ संक्रमित व्यक्ति का जूठा खाने पीने के जरिए शरीर में प्रवेश करता है और रोगी को तेज बुखार हो जाता है। टाइफाइड का बैक्टीरिया मुंह के रास्ते आंतों में प्रवेश करता है जिससे बुखार रहने लगता है और कमजोरी फील होती है। ये बैक्टीरिया आंतों में एक से तीन हफ्ते तक रहता है और अगर इसी दौरान इसका सही इलाज ना किया जाए तो ये खून में जाकर कई अन्य अंगों को प्रभावित करता है, जिससे रोगी और ज्यादा बीमार हो जाती है और स्थिति जानलेवा हो जाती है।
 
टाइफाइड के कारण -
 
टाइफाइड के मुख्य कारणों में दूषित भोजन और पानी का सेवन  करना आता है। इसके अलावा गंदगी के बीच रहने वाले, गंदा वाशरूम इस्तेमाल करने वाला, सही से हाथ ना धोने वाले, कच्ची सब्जियां ज्यादा खाने वाले, बाजार का भोजन ज्यादा करने वाले, सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ना खाने वाले लोगों को ये बीमारी जल्दी घेरती है। बैक्टीरिया से ग्रसित व्यक्ति के साथ ओरल संपर्क करने पर भी बैक्टीरिया दूसरे व्यक्ति के शरीर पर हमला बोल सकता है। 
 
टाइफाइड बुखार के लक्षण - 
 
सबसे पहले लक्षण बुखार है. 
बुखार ऊपर नीचे और कभी कभी बहुत तेज होने लगता है. 
बुखार 101 डिग्री से 104 डिग्री तक होता है।
रोगी की भूख कम हो जाती है।
सिर में दर्द होना टाइफाइड का लक्षण है।
बुखार के साथ साथ शरीर में दर्द  होता है।
ठंड लगता है और कमजोरी आती है।
हर वक्त थकान और आलस महसूस होता है।
दस्त या डायरिया की स्थिति बनती है।
कुछ लोगों को कब्ज भी होती है।
पेट में दर्द औऱ मरोड़ के साथ ऐंठन महसूस होती है।
उल्टियां होना।
मांसपेशियों में दर्द होना भी टाइफाइड का लक्षण है।
 
टाइफाइड का इलाज क्या है - 
 
सबसे पहले आपको बता दें कि टाइफाइड की जांच अब काफी आसान हो चुकी है। ब्लड और यूरिन टेस्ट के जरिए टाइफाइड बुखार का पता लगाया जा सकता है। कुछ गंभीर मामलों में बोन मेरो और विडाल टेस्ट भी किए जाते हैं। इलाज के तहत एंटी बायोटिक दवाएं दी जाती है। अगर मरीज के शरीर में पानी की कमी है तो ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी दी जाती है। आमतौर पर मरीज घर पर रहकर दवाएं लेकर ही ठीक हो जाता है। बहुत ज्यादा गंभीर मामलो में अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत होती है। 
 
टाइफाइड में क्या खाना चाहिए-
 
टाइफाइड बुखार होने पर रोगी को हाई कैलोरी का आहार देना चाहिए क्योंकि इस दौरान भूख कम होने पर रोगी काफी कमजोर हो जाता है। 
रोगी को तरल पेय पदार्थ और डाइट देते रहना चाहिए। अगर रोगी को दस्त और उल्टी हो रहे हैं तो इससे शरीर में फ्लूड्स की कमी हो जाती है, इसलिए रोगी को लिक्विड डाइट देते रहना चाहिए। 
रोगी को उबला हुआ और ताजा भोजन करना चाहिए। 
रोगी को हाई कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन जैसे उबले हुए चावल, उबले हुए आलू का सेवन  करना चाहिए।
रोगी को दही और अच्छी तरह पकाए गए अंडे का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में प्रोटीन की कमी पूरी हो सके।
रोगी को ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए। 
टाइफाइड के रोगी को सूप, शोरबा, फलों के रस और दूध जरूर देना चाहिए। 
रोगी को दलिया, खिचड़ी, सब्जियों का शोरबा और उपमा जैसे खाद्य पदार्थ डाइट में शामिल करने चाहिए क्योंकि ये पचने में हल्के होते हैं।
 
टाइफाइड में क्या नहीं खाना पीना चाहिए - 
 
इस स्थिति में हाई फाइबर युक्त डाइट नहीं लेना चाहिए। ये शरीर के पाचन तंत्र को और खराब कर सकती है। 
पत्ता गोभी और शिमला मिर्च जैसी सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए। 
रोगी को  अधिक तला और अधिक मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए।
रोगी को एसिटिक एसिड वाले भोजन जैसे लाल हरी मिर्च, गर्म सॉस और सिरका आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
रोगी को घी, मक्खन, चीज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
रोगी को कच्चे फल और सब्जियों का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए, इससे स्थिति औऱ बिगड़ सकती है।
 
Disclaimer: यहां पर मौजूद जानकारी के लिए Thejbt.com किसी भी प्रकार की मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को प्रयोग में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
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18 March 2023, 10:40 AM IST

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