Breast Cancer in women: इस उम्र के बाद महिलाओं में बढ़ जाता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, जानिए कारण और लक्षण
ब्रेस्ट कैंसर का सबसे प्रारंभिक लक्षण महिलाएं समय समय पर खुद ही पहचान सकती है। डॉक्टर भी कहते हैं 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं को सेल्फ टेस्ट के जरिए अपने ब्रेस्ट की जांच करनी चाहिए. इस टेस्ट में देखा जाता है कि ब्रेस्ट में कहीं कोई असामान्य गांठ दिख रही है या नहीं।
कैंसर ऐसी बीमारी है जिसका इलाज खोजे जाने के बावजूद इसका नाम सुनकर भी शरीर में सिहरन दौड़ जाती है. दुनिया में जिस तेजी से कैंसर जैसी बीमारी फैल रही है, उस लिहाज से लोगों में इसे लेकर उतनी जागरुकता नहीं फैली है कि इसका सही इलाज सबकी जान बचा सके। कैंसर की बात करें तो महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में कैंसर की चपेट में आने के ज्यादा जोखिम होते हैं. भारतीय महिलाओ की बात करें तो स्तन कैंसर (Breast cancer), गर्भाशय कैंसर, सर्वाईकल कैंसर और कोलेक्ट्रल कैंसर के जोखिम भारतीय महिलाओं को सबसे ज्यादा होते हैं. ऐसे में इस बीमारी के इलाज से ज्यादा जरूरी है कि इसका सही समय पर पता लग सके ताकि शुरूआती स्टेज में इलाज करवाया जा सके और मरीज की जान बच सके. लेकिन अफसोस की बात ये है कि महिलाओं को खुद इस जानलेवा बीमारी के लक्षणों की पहचान नहीं होती. डॉक्टर कहते हैं कि अगर सही समय पर कैंसर जैसे जानलेवा रोग की पहचान हो जाए तो इलाज सटीक हो पाता है और मरीज के बचने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं। चलिए आज जानते हैं कि भारतीय महिलाओं को सबसे ज्यादा होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के कारण और लक्षण क्या हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के कारण -
ब्रेस्ट कैंसर हर साल सबसे ज्यादा भारतीय महिलाओं को शिकार बनाने वाला कैंसर है। सामान्य भाषा में समझाया जाए तो ये कैंसर ब्रेस्ट यानी स्तन की कोशिकाओं में होता है. इस स्थिति में ब्रेस्ट टिश्यू में सूजन आने के कारण ट्यूमर बनता है। हालांकि ब्रेस्ट कैंसर का सटीक कारण तो अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है लेकिन ज्यादा उम्र होना, ज्यादा स्मोकिंग करना, आनुवांशिक कारण यानी घर में किसी को पहले से ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी होना, लंबे समय तक गर्भधारण ना करना, ज्यादा गर्भपात होना, पहले भी ब्रेस्ट कैंसर होना, ज्यादा घने ब्रेस्ट टिश्यूज, ब्रेस्ट पर रेडियो विकिरण रेज का प्रभाव होना, मेनोपॉज के दौरान किसी प्रकार की थैरेपी करवाना, ज्यादा अल्कोहल का सेवन, फिजिकल एक्टिविटी का कम होना, ज्यादा उम्र में गर्भधारण करना आदि हो सकते हैं। इन कारणों में से किसी भी कारण के चलते 35 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं कैंसर का शिकार बन रही है। गर्भनिरोधक का ज्यादा उपयोग, ज्यादा वजन और देर से गर्भधारण करना एक बड़ा लक्षण है जो कैंसर के लिए उत्तरदायी माना जा रहा है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण -
ब्रेस्ट कैंसर का सबसे प्रारंभिक लक्षण महिलाएं समय समय पर खुद ही पहचान सकती है। डॉक्टर भी कहते हैं 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं को सेल्फ टेस्ट के जरिए अपने ब्रेस्ट की जांच करनी चाहिए. इस टेस्ट में देखा जाता है कि ब्रेस्ट में कहीं कोई असामान्य गांठ दिख रही है या नहीं। ब्रेस्ट में कोई गांठ उभरना ब्रेस्ट कैंसर का सबसे पहला लक्षण है।
ब्रेस्ट कैंसर के दूसरे लक्षण में ब्रेस्ट के आकार में बदलाव आना है। इसके तहत एक ब्रेस्ट दूसरे ब्रेस्ट की तुलना में आकार से बड़ा हो जाता है। इसके अलावा निप्पल के आस पास लालिमा आ जाती है और छोटे छोटे दाने दिखने लगते हैं। निप्पल से अजीब सा पानी या हल्के रंग का दृव्य डिस्चार्ज होने लगता है। कई बार निप्पल पलट जाता है और उसकी स्थिति बदल जाती है। छूने पर निप्पल में दर्द करने लगता है और उस पर पपड़ी जमने लगती है।
ब्रेस्ट में दर्द होना और आर्मपिट यानी बगल में दर्द होना भी ब्रेस्ट कैंसर का एक लक्षण है और इसे बिलकुल भी नजरंदाज नहीं करना चाहिए। स्तन की त्वचा में बदलाव आने लगता है और रंग बदलने लगता है औऱ कुछ कुछ नारंगी कलर जैसा दिखने लगता है।
डॉक्टर कहते हैं कि इन लक्षणों में से अगर एक भी लक्षण प्रतीत हो रहा है तो सबसे पहले अपने हेल्थ एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए। जितनी जल्दी महिला इन लक्षणों को पहचान पाती है, कैंसर के प्रारंभिक स्टेज में उतनी ही आसानी इसके इलाज में होती है। ऐसे में महिलाओं को 35 साल के बाद खुद ही अपनी सुरक्षा के लिए समय समय पर सेल्फ टेस्ट जरूर करना चाहिए। ब्रेस्ट में कोई भी बदलाव, दर्द या आकार में परिवर्तन होने पर तुरंत कदम उठाना जरूरी है।
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