भारत जैसे घरों में जहां भोजन पकाने के लिए तेल और घी का ज्यादा उपयोग होता है, वहां तीखी खुशबू वाला सरसों का तेल सबसे लोकप्रिय एडिबल ऑयल की श्रेणी में आता है। रोजमर्री की सब्जी आदि बनाने के लिए आम गृहणियां किचन में सरसों का तेल ही इस्तेमाल करती हैं। सरसों का तेल स्वाद में तीखा लेकिन सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है। इसकी मदद से शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर बनाए रखने में आसानी होती है और ये दिल के लिए भी नुकसानदेय नहीं होता। चलिए जानते हैं कि सरसों के तेल के क्या फायदे हैं और साध ही जानेंगे इसके कुछ नुकसान के बारे में।
सरसों के तेल की बात करें तो सरसों के बीज से तैयार होने वाला सरसों का तेल भारत के साथ साथ पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में भी भोजन पकाने के मुख्य तेल के रूप में इस्तेमाल होता है। सरसों का तेल दो तरह से तैयार होता है, पहला सरसों का रिफाइंड तेल और सरसों का कच्ची घानी का ग्रेड वन तेल। सरसों के तेल के कच्ची घानी वाले स्वरूप को खाना ज्यादा फायदेमंद है और इसे भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
भूख और पाचन शक्ति बढ़ाता है सरसों का तेल
जिन लोगो को भूख कम लगती है, उनका पाचन तंत्र कमजोर होता है। ऐसे में सरसों के तेल का उपयोग करना लाभकारी होता है। इस तेल के उपयोग से पाचन तंत्र बेहतर होता है, भूख बढ़ाने वाले एंजाइम सक्रिय होते हैं और मेटाबॉलिज्म भी तेज होता है। पेट से जुड़ी कई परेशानियों में सरसों के तेल का उपयोग लाभकारी माना जाता है।
सरसों के तेल की तासीर गर्म कही जाती है इसी के चलते सरसों का तेल सर्दी खांसी जैसी दिक्कतों में काफी लाभ करता है. शरीर पर इसकी मालिश से सर्दी जुकाम में राहत मिलती है और फेफड़ों में कफ जमने की दिक्कत भी समाप्त हो जाती है।
सरसों के तेल में पाया जाने वाला ग्लूकोसिनोलेट नामक तत्व शरीर में कैंसर कोशिकाओं को पनपने से रोकता है। इसके उपयोग से फ्री रेडिकल्स पर भी लगाम कसी जा सकती है। इसके अलावा सरसों के तेल में ढेर सारा विटामिन ई पराबैंगणी रेज और प्रदूषण के खिलाफ त्वचा की रक्षा करने का काम करता है जिससे स्किन कैंसर के जोखिम शरीर से दूर रहते हैं।
सांस से जुड़ी बीमारियों जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस आदि में सरसों के तेल की मालिश और भाप देने पर काफी राहत मिलती है। जिन लोगों को पुराने जुकाम यानी सायनस की दिक्कत है, उनको भी सरसों के तेल का उपयोग करने पर राहत मिलती है।
दिल के लिए अच्छा है सरसों का तेल
सरसों के तेल में पाए जाने वाले मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड जिन्हें मूफा और पूफा भी कहते हैं, ये दिल के खतरों को दूर करते हैं। इसके अलावा सरसों के तेल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड भी पाए जाते हैं जो इस्केमिक हृदय रोग के जोखिम कम करते हैं। सरसों के तेल में हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक गुण है जिसकी मदद से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम किए जाने में मदद मिलती है। सरसों का तेल बैड कोलेस्ट्रोल को कम करता है और शरीर में गुड कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ाता है जिससे दिल स्वस्थ रहता है।
सरसों के तेल में एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं जिसकी मदद से जोड़ों के दर्द और सूजन से काफी राहत मिलती है। निमोनिया होने पर या अस्थमा होने पर छाती आदि में सूजन आने पर इस तेल की मालिश करने पर सूजन खत्म होती है और दर्द से आराम मिलता है।
किन लोगों के लिए नुकसानदेय है सरसों के तेल का ज्यादा उपयोग -
अगर आपको सरसों के तेल से एलर्जी की समस्या है तो आपको सरसों के तेल का यूज नहीं करना चाहिए।
दिल के रोगियों को भी सरसों के तेल का ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए। दरअसल सरसों के तेल में पाया जाने वाला इरुसिक एसिड दिल के लिए खतरनाक बन जाता है।
डॉक्टर सलाह देते हैं कि प्रेग्नेंट महिलाओं को सरसों के तेल का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।
First Updated : Tuesday, 04 April 2023