Health: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की ओर से इस बात का खुलासा किया गया तकरीबन 45 फीसदी डॉक्टर आधा-अधूरा परचा लिख रहे हैं,जो लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ है. संस्थान की तरफ से कहा गया कि ओपीडी में डॉक्टर जल्दबाजी में मरीजों को शुरुआती चिकित्सा सलाह देवे वाले बड़ी लापरवाही कर रहे हैं. आपको बता दें, 13 नामचीन अस्पतालों का सर्वे कराने के बाद तैयार आईसीएमआर की इस रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार इस लापरवाही को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएगी
डब्ल्यूएचओ ने 1985 में तर्कसंगत परचों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के दिशा-निर्देशों को लागू किया. लेकिन फिर भी दुनियाभर में 50 फीसदी से ज्यादा दवांए अनुचित तरीके से मरीजों को दी जा रही है. कई मरीजों को ये नहीं पता कि उनको कौन सी दवाएं किस परेशानी में दी जा रही है. कब इसका सेवन करना है. एक रिपोर्ट के अनुसार 475 परचों के विश्लेषण में से कोई अमेरिका तो कोई ब्रिटेन के दिशा-निर्देशों पर आधारित पाया गया।
जब प्रिस्क्रिप्शन का परीक्षण किया गया, तब पता चला कि लगभर सारे डॉक्टर को प्रैक्टिस करते चार से 18 साल तक हो चुके हैं. आपको बता दें ये इस बात की भी जानकारी मिली की दवा लिखने वाले परचे में मरीज को ये भी नहीं बताया जाता था की दवा कब और कितने समय तक लेनी है. दवा का फॉर्मूलेशन क्या है ये सभी जानकारी मरीजों को नहीं दी जाती है. First Updated : Friday, 12 April 2024