टाइट पेटीकोट नाड़ा बांधने से महिलाओं में बढ़ रहा कैंसर का खतरा, जानें क्या है साड़ी कैंसर की सच्चाई?

Saree Cancer: 'साड़ी कैंसर' या 'पेटीकोट कैंसर' एक ऐसी स्थिति है, जो मुख्य रूप से उन महिलाओं में पाई जाती है, जो हर दिन साड़ी पहनती हैं और पेटीकोट का नाड़ा टाइट बांधती हैं. बिहार और महाराष्ट्र के डॉक्टरों द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि महिलाएं जब साड़ी पहनते समय पेटीकोट का नाड़ा कसकर बांधती हैं, तो त्वचा पर निरंतर दबाव से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.

Shivani Mishra
Shivani Mishra

Saree Cancer: भारत में लाखों महिलाएं रोजाना साड़ी पहनती हैं, लेकिन हाल ही में एक दुर्लभ स्थिति का पता चला है जिसे 'साड़ी कैंसर' के नाम से जाना जा रहा है. इस स्थिति का संबंध पेटीकोट का नाड़ा टाइट बांधने से है, जिसके चलते कमर के हिस्से में त्वचा पर लगातार दबाव और घर्षण बना रहता है, जो समय के साथ कैंसर जैसी गंभीर समस्या का कारण बन सकता है.

बिहार और महाराष्ट्र के डॉक्टरों द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि महिलाएं जब साड़ी पहनते समय पेटीकोट का नाड़ा कसकर बांधती हैं, तो त्वचा पर निरंतर दबाव से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. 

क्या है साड़ी कैंसर?

'साड़ी कैंसर' या 'पेटीकोट कैंसर' एक ऐसी स्थिति है, जो मुख्य रूप से उन महिलाओं में पाई जाती है, जो हर दिन साड़ी पहनती हैं और पेटीकोट का नाड़ा टाइट बांधती हैं. डॉक्टरों का कहना है कि टाइट नाड़े के कारण कमर पर लगातार रगड़ और दबाव के कारण त्वचा कमजोर हो जाती है. इसके परिणामस्वरूप अल्सर बनने लगते हैं, जो ठीक न होने पर कैंसर में बदल सकते हैं.

डॉक्टरों का शोध

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, उत्तर प्रदेश के डॉक्टरों ने एक शोध में पाया कि कमर पर कसकर बांधे गए पेटीकोट का नाड़ा लंबे समय तक दबाव और घर्षण उत्पन्न करता है, जिससे त्वचा में सूजन बनी रहती है. यदि इसे नजरअंदाज किया जाए, तो यह अल्सर और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (त्वचा का कैंसर) में बदल सकता है.

केस स्टडी

शोध में दो बुजुर्ग महिलाओं का जिक्र किया गया, जिन्हें लंबे समय से ठीक न होने वाले अल्सर थे. एक 70 वर्षीय महिला ने बताया कि उनकी कमर पर करीब 18 महीने से अल्सर था, जो धीरे-धीरे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा में बदल गया. दूसरी 60 वर्षीय महिला, जो "लुगड़ा" पहनती थीं, को भी दो साल से ठीक न होने वाले अल्सर का सामना करना पड़ा, जो बाद में कैंसर में बदल गया.

क्या है मारजोलिन अल्सर?

मारजोलिन अल्सर पुराने घावों से विकसित होते हैं, जो लंबे समय तक किसी आघात या घर्षण के कारण होते हैं. पेटीकोट के टाइट नाड़े का लगातार दबाव कमर के आसपास की त्वचा को कमजोर कर देता है, जिससे घाव ठीक नहीं होते और समय के साथ घातक कैंसर में बदल सकते हैं. यह अल्सर आमतौर पर पुराने जलने के घावों या घावों से संबंधित होते हैं, लेकिन कमर के कसे हुए धोते से भी यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है.

ऐसे रहें सुरक्षित

विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति से बचने के लिए महिलाओं को साड़ी पहनते समय पेटीकोट का नाड़ा ढीला बांधना चाहिए. लगातार दबाव और घर्षण से बचने के लिए ढीले और आरामदायक कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है. यदि कमर के आसपास त्वचा में कोई असामान्य बदलाव दिखे, जैसे रंग का हल्का होना या सूजन, तो तुरंत चिकित्सा परामर्श लें.

समय-समय पर करें अपने शरीर की जांच 

डॉक्टरों का सुझाव है कि अगर शुरुआती स्तर पर इस समस्या का पता चल जाए, तो इलाज द्वारा इसे रोका जा सकता है. महिलाओं को चाहिए कि वे त्वचा की सेहत का ख्याल रखें और समय-समय पर अपने शरीर की जांच करती रहें.

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07 November 2024, 09:49 PM IST

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