बार-बार क्यों आता है बुखार? जानें इसके पीछे की वजह

Fever: इन दिनों हम में से कई लोगों को बुखार आ रहा है. लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं. बुखार वैसे तो एक आम समस्या है लेकिन, बार-बार बुखार आना किसी गहरी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है. बुखार तब आता है जब शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Fever: बुखार एक आम समस्या है, जो अक्सर हमें घेर लेती है, खासकर जब मौसम बदलता है. यह न केवल शरीर की कमजोरी का कारण बनता है, बल्कि कभी-कभी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी हो सकता है. बुखार का मुख्य कारण शरीर का तापमान बढ़ना होता है, जो शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया का हिस्सा है. 

बुखार को मेडिकल साइंस में 'पाइरेक्सिया' कहा जाता है, और यह शरीर की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, जो इन्फेक्शन से लड़ने के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम को सक्रिय करती है. लेकिन, अगर बुखार बार-बार आता है तो यह चिंता का विषय बन सकता है.

बुखार का विज्ञान

बुखार तब आता है जब शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है. सामान्यत: शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहता है, जो दिन में कुछ हद तक बदल सकता है. अगर यह तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ जाता है, तो यह बुखार कहलाता है. बुखार आने के साथ शरीर में कमजोरी, आंखों में जलन और उल्टियां जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

बुखार आने की वजह

जब कोई व्यक्ति जुकाम या बुखार से पीड़ित होता है, तो वह अपने आसपास के वातावरण को संक्रमित कर देता है. इस वातावरण में मौजूद वायरस शरीर के अंदर प्रवेश करते हैं और शरीर के इम्यून सिस्टम को सक्रिय कर देते हैं. इस प्रक्रिया में सफेद रक्त कोशिकाएं पाइरोजेन प्रोटीन रिलीज करती हैं, जो खून के जरिए मस्तिष्क तक पहुंचता है. मस्तिष्क का हाइपोथैलेमस हिस्सा शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और एक नया तापमान सेट करता है, जिससे बुखार आने लगता है.

हाइपोथैलेमस और बुखार की प्रक्रिया

हाइपोथैलेमस मस्तिष्क का वह हिस्सा है, जो शरीर का तापमान नियंत्रित करता है. यह या तो कंपकंपी या कमजोरी के साथ शरीर के तापमान को बढ़ाता है ताकि वायरस से लड़ा जा सके. इस प्रक्रिया को इम्यून सिस्टम कहते हैं, जो शरीर को बाहरी खतरों से बचाने के लिए काम करता है. बुखार का आना इस बात का संकेत है कि शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय है.

दवाओं का असर

जब बुखार आता है, तो लोग आमतौर पर दवा लेते हैं, जो हाइपोथैलेमस की प्रक्रिया को रोककर शरीर का तापमान कम कर देती है. हालांकि, यह दवा वायरस को पूरी तरह से खत्म नहीं करती है. दवा शरीर के स्वाभाविक कार्यों में रुकावट डाल सकती है, इसलिए इसे डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए. क्रिटिकल कंडीशन में दवा लेना जरूरी होता है, लेकिन यह तब तक ही फायदेमंद है जब तक डॉक्टर की सलाह ली जाए.

डॉक्टर से करें संपर्क

बुखार शरीर के लिए जरूरी है क्योंकि यह शरीर के इम्यून सिस्टम के सक्रिय होने का संकेत है, लेकिन यदि बुखार सात दिनों से अधिक समय तक रहता है, तो यह गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. अगर बुखार बहुत ज्यादा तेज हो और शरीर का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाए, तो यह जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए, बुखार की स्थिति में सावधानी और उचित इलाज जरूरी है.

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10 November 2024, 03:56 PM IST

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