अपने नेता के रामचरित मानस पर विचित्र बयानों के बाद भी राम और कृष्ण के बताए रास्ते पर चलने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश चुप्पी साधे हैं। विपक्षी आरोप लगाते रहे कि अखिलेश की चुप्पी मौर्या के बयानों पर सहमति बयां कर रही है। इस बीच रविवार की शाम जब अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की नई कार्यकारिणी लिस्ट जारी कि तो तमाम अटकलों का जवाब मिल गया। इस लिस्ट में ना सिर्फ शिवपाल और स्वामी प्रसाद मोर्य को ऊंची जगह मिली। बल्कि सबको साथ लेकर चलने का दावा करने वाली सपा के नए एजेंडे का भी खुलासा हो गया।
बसपा से आए दलित नेताओं को मिली तवज्जो
गौरतलब है कि सपा के इस लिस्ट में बसपा से आए दलित नेताओं को तवज्जो दी गई है। संगठन में इन पूर्व बसपाइयों को खास प्रोमोशन दिया गया है। अखिलेश यादव की नई टीम में अंबेडकरवादियों को खास जगह मिली है। लिस्ट में सपा महासचिव की सूची में आजम खान, शिवपाल सिंह यादव, रवि प्रकाश वर्मा, बलराम यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, विशंभर प्रसाद निषाद, अवधेश प्रसाद, इंद्रजीत सरोज, रामजीलाल सुमन, लालजी वर्मा, रामअचल राजभर, जो एटोनी, हरेंद्र मलिक, नीरज चौधरी और सलीम शेरवानी को विशेष महत्व दिया गया है।
खास बात ये है, कि सलीम शेरवानी के लिए अलग से प्रेस नोट जारी किया गया। सूची में पूर्व बसपाइयों पर भी खूब तवज्जो दी गयी। अंबेडकरवादी संतुलन बनाने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य, लालजी वर्मा, इंद्रजीत सरोज, रामअचल राजभर को भी महासचिव बनाया गया। इन चारों ही नेताओं का बैकग्राउंड बसपा का रहा है, सभी बसपा सुप्रीमो मायावती के खास माने जाते थे। साथ ही राजाराम पाल, त्रिभुवन दत्त को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है, जो कांशीराम के जमाने के नेता है। जिनकी जमीनी पकड़ बेहद मजबूत है।
नई टीम के साथ सामने आया पार्टी का एजेंडा
2024लोकसभा की तैयारियों में जुटे अखिलेश यादव ने ये भी इशारा कर दिया कि वो आगे कौन सी सियासत करने वाले हैं। समाजवादी राजनीति किस रणनीति से बढ़ेगी इसका भी ट्रेलर दिख गया। उनकी लिस्ट में नेता जी मुलायम सिंह यादव की झलक दिख गई। लिस्ट में ओबीसी और दलित नेताओं पर दांव लगाया गया है। मुलायम सिंह ने भी अपनी राजनीति ओबीसी वोटरों को ध्यान में रखकर शुरु की थी। जो कई गठबंधनों से होकर गुजरी। अब एकबार फिर मुलायम सिंह की विरासत को अखिलेश यादव अपनाते दिख रहे हैं।
ऐसे में समाजवादी पार्टी की इस लिस्ट के बाद उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन एक बार फिर चर्चाओं में है। राजनीति के जानकार मानते हैंकि 2024 के लिए समाजवादी पार्टी की लिस्ट में अंबेडकरवादी और समाजवादियों का संतुलन बसपा और बीजेपी दोनों के लिए जवाब है। अगर ये तालमेल वोटो को लुभाने में कामयाब रहा तो 2024 में अखिलेश यादव कमाल कर सकते हैं। First Updated : Monday, 30 January 2023