इन दिनों महंगाई तेजी से बढ़ रही है जिसका असर लोगों के आर्थिक जनजीवन पर पड़ रहा है। वहीं विभिन्न सरकारी योजनाएं मुफ्त में जनता के द्वार तक पहुंच रही हैं। कुल मिलाकर कहा जा रहा है कि आर्थिक संकट की आहट दिखाई दे रही है क्योंकि जिस तरह से सरकार पर मुफ्त योजनाओं के वितरण का बोझ पड़ रहा है उसका सीधा सीधा असर सरकारी खजाने पर भी नजर आने लगा है।
जिसके चलते महंगाई भी बढ़ रही है। सरकारी योजनाओं का लाभ भले ही जन जन तक पहुंच रहा हो लेकिन मिडिल क्लास व्यक्ति इस उधेड़बुन में लगा है कि किस तरह से वह अपने घर का खर्च चला सके क्योंकि मुफ्त वाली सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों तक पहुँचता है परंतु इसका खामियाजा कहीं ना कहीं मीटिंग क्लास व्यक्ति को चुकाना पड़ता है हालांकि उच्च स्तरीय आय वर्ग के व्यक्ति इन छोटी-छोटी बातों की ओर शायद ध्यान ना देते हो परंतु जो व्यक्ति मिडिल इनकम ग्रुप से ताल्लुक रखता है उसको बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारी खजाने की बात की जाए तो पिछले डेढ़ वर्ष में विदेशी मुद्रा भंडार में स्थिरता अवश्य है लेकिन उसमें बढ़ोतरी नहीं है हालांकि केंद्र सरकार इस मामले में बेहद सटीक रणनीति अपनाते हुए आर्थिक रूप से मजबूती की ओर बढ़ने का प्रयास कर रही है लेकिन कोरोना काल का घाटे से व्यापार जगत अभी पूरी तरह से उबर नहीं पाया है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि नई आर्थिक नीति और सरकारी मुफ्त वाली योजनाओं का तालमेल उच्च स्तरीय नहीं है जिसका खामियाजा देश को आगामी कुछ वर्षों में भुगतना पड़ सकता है। First Updated : Monday, 11 April 2022