Amarnath Cloudburst: अबतक 16 लोगों की मौत, 40 लापता

30 जून को शुरू हुई अमरनाथ यात्रा पर मौसम बहुत बड़ी बाधा बनकर आया। पहले भारी बारिश की वजह से अमरनाथ यात्रा पर

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30 जून को शुरू हुई अमरनाथ यात्रा पर मौसम बहुत बड़ी बाधा बनकर आया। पहले भारी बारिश की वजह से अमरनाथ यात्रा पर कुछ समय के लिए अस्थायी रोक लगाई गई और अब मौसम का कहर एकबार फिर श्रद्धालुओं पर बरपा है। शुक्रुवार शाम साढ़े पांच बजे अमरनाथ गुफा के पास बादल फट गया। इससे कैंप के बीच से अचानक सैलाब आ गया। आपदा के दौरान गुफा के पास 10-15 हजार श्रद्धालु मौजूद थे। कई लोग टेंट के साथ बह गए। इनमें से अब तक 16 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, प्रभावित क्षेत्र में अभी भी 35 से 40 श्रद्धालुओं के फंसे होने की खबर है।

बता दें कि अमरनाथ की गुफा 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थि हैं जहां श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए हर साल पहुंचते हैं पिछले दो साल से कोरोना की वजह से अमरनाथ यात्रा पर रोक लगी थी लेकिन इस साल भी लाखों लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। बादल फटने की घटना अमरनाथ की पवित्र गुफा के एक से दो किलोमीटर के दायरे में हुई। पहाड़ों से तेज बहाव के साथ आए पानी से श्रद्धालुओं के लिए लगाए गए करीब 25 टेंट और दो से तीन लंगर बह गए। आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है। सेना के जवान, जम्मू-कश्मीर पुलिस, NDRF, ADRF, ITBP के जवान प्रभावित क्षेत्र में फंसे लोगों को रेस्क्यू करने में जुटे हैं। बादल फटने के बाद पहाड़ों के बीच से पानी बहने लगा।

पानी का बहाव इतना तेज था कि अपने साथ करीब 25 टेंट और दो-तीन लंगर बहा ले गया। अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने के बाद रेस्क्यू में सेना के जवान तत्काल ही जुट गए। हादसे के बाद जगह-जगह मलबे का ढेर दिखाई दिया। मलबे में फंसी एक महिला श्रद्धालु के शव को निकालने में रेस्क्यू टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी। इसके लिए फावड़े की मदद से शव के आस-पास मौजूद पत्थरों के टुकड़ों को हटाया गया। बादल फटने के बाद कई लोग सैलाब के साथ बह गए, उनके शव पत्थरों में दब गए। ऐसे में शवों तक पहुंचने के लिए बचावकर्मियों ने रस्सी का सहारा लिया।

घटना के बाद प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए अभियान जारी है। रेस्क्यू के लिए कुल 6 टीमों की तैनाती की गई है। दमकल की टीम को रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी परेशानी हो रही है पत्थर के नीचे दबे शवों को बाहर निकालने के लिए फावड़े और रस्सी का सहारा लिया जा रहा है। बादल फटने के बाद संकरे रास्तों में फंसे लोगों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

आपदा में घायल हुए लोगों को हेलिकॉप्टर की मदद से अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। हादसे के बाद लोगों की सहायता के लिए NDRF और अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने इमरजेंसी हेल्पलाइन जारी किया है। बता दें कि ऐसा ही हादसा 16 जून 2013 को केदारनाथ धाम में हुआ था, जिसमें हजारों मौतें हुईं थीं। First Updated : Saturday, 09 July 2022