2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्लीन चिट को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात दंगे मामले में जाकिया जाफरी की SIT रिपोर्ट के खिलाफ दी गई अर्जी खारिज कर दी थी. गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को विशेष जांच दल (SIT) की ओर से दिए गए क्लीन चिट को जाकिया जाफरी ने चुनौती दी थी. जिसपर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ट्रेन जलाने के बाद हुए दंगे पूर्व नियोजित नहीं थे, बल्कि स्व-प्रेरित थे.
दंगों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे.. बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है. अमित शाह ने कहा की नरेन्द्र मोदी पर लगे सारे आरोप गलत हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भी मोदी जी पर आरोप लगाए थे, उन्हें बीजेपी और मोदी जी से माफी मांगनी चाहिए.
अपने इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट से पीएम मोदी को क्लीन चिट मिलने पर कहा कि 18-19 साल की लड़ाई, देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर सहन कर लड़ता रहा और आज जब अंत में सत्य सोने की तरह चमकता हुआ आ रहा है, तो अब आनंद आ रहा है. अमित शाह ने कहा कि साल 2002 में गुजरात दंगो पर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट ने सिद्ध किया है कि ये आरोप राजनीतिक साजिश थी. अमित शाह ने कहा कि “कोर्ट ने एक पुलिस अफसर का नाम लिया है, एक एनजीओ का नाम लिया है और कुछ पॉलिटिकल एलिमेंट्स का नाम लिया है.
जजमेंट में साफ है कि इन तीनों ने मिलकर सनसनी खड़ी करने के लिए झूठी बातों को फैलाया. झूठी बातों को आगे बढ़ाया गया, और झूठे सबूत गढ़े गए.” अमित शाह ने कहा कि सब जानते हैं कि ये केवल मोदी जी की छवि खराब करने के लिए किया गया था. उन्होंने कहा कि गुजरात में हमारी सरकार थी लेकिन यूपीए की सरकार ने NGO की मदद की है. आज सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी. एनजीओ ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है. सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई यूपीए की सरकार ने NGO की बहुत मदद की है.
गृह मंत्री शाह ने कहा, “आज कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार ने दंगा रोकने के लिए भरसक प्रयास किए थे. कोर्ट ने ये तय कर दिया कि मुख्यमंत्री ने बार-बार शांति की अपील की थी. कोर्ट ने ये भी तय किया कि ट्रेन जलाने की घटना के बाद जो दंगे हुए, वो सुनियोजित नहीं थे, स्वप्रेरित थे.” अमित शाह ने गुजरात दंगों में सेना को नहीं बुलाने के सवाल के जवाब में कहा कि हमने कोई लेटलतीफी नहीं की, जिस दिन गुजरात बंद का एलान हुआ था उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था.
वहीं दिल्ली में सिख दंगों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली में सेना का मुख्यालय है, जब इतने सारे सिख भाइयों को मार दिया गया, 3 दिन तक कुछ नहीं हुआ. 2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, इसके बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क गए थे. उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद स्थित अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती 'गुलबर्ग सोसाइटी' को निशाना बनाया था. इसमें जकिया जाफरी के पति पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे. इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए थे, जिसमें से अधिकतर मुसलमान थे. First Updated : Saturday, 25 June 2022