भारत आज़ादी के 75 वर्ष होने के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। मेहनत, हिम्मत, संकल्प, जिद और हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान से एक स्वतंत्र हिंदुस्तान का सपना साकार हुआ था। किसी भी राष्ट्र की पहचान उस राष्ट्र के नागरिकों और उनकी संस्कृति से होती है। भारतीय संस्कृति ही भारत की पहचान है। भारत सदियों से अपनी संस्कृति और विरासत के लिए विश्व पटल पर जाना जाता रहा है। हमारी संस्कृति सदैव 'अतिथि देवो भवः' के लिए जानी जाती रही है। 'वसुधैव कुटुम्बकम' का भाव सदैव से धारण किये हुए भारतीय समाज ने समग्र वसुधा को अपना परिवार माना है।
भारत अपनी अनेकता में एकता वाली छवि के लिए हमेशा पूरे विश्व में जाना जाता रहा है। महान संत कबीरदास ने कहा था, "भारत ऐसा राष्ट्र है जहां हिन्दू व मुस्लिम एक ही घाट पर पानी भरते है ऐसे राष्ट्र मे जन्म लेना मेरा सौभाग्य है। यहां होली, दिवाली, ईद हो या रमजान सभी साथ मिलकर बनाते है।" हम एक महान और विश्व गुरु देश भारत के कुशल नागरिक हैं। हमारा देश विश्व के हर देश से अद्भुत और निराला है। हमें अपनी संस्कृति एवं सभ्यता पर गर्व है। हम उस देश के नागरिक हैं जो पूरे विश्व में लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में भूमिका निभाता रहा है। आबादी के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने पर हमें गर्व है।
हमारे देश की संस्कृति व सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। यह देश ऋषि मुनियों का देश भी रहा है। इसलिए अनेक महापुरुषों ने इसे देवों की धरती भी कहा है। क्योंकि यहां की संस्कृति व सभ्यता पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। विशाल हृदय वाली हमारी संस्कृति ने हमें अपने दुश्मनों से भी प्रेम करना सिखाया है। इस धरती पर भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, त्याग की प्रतिमूर्ति महात्मा दधीचि, दानवीर कर्ण, महाप्रतापी व सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र, गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया है। हमारे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक विभिन्न भाषा, जाति, वेशभूषा के लोग एक साथ निवास करते हैं। आज़ादी के महज 75 वर्षों में भारत ने विज्ञान, योग व तकनीकी के क्षेत्र में जो सफलता अर्जित की है, उसने संपूर्ण विश्व को चौंका दिया।
सबको है समान अधिकार
हमारे यहां प्रधानमंत्री हो या दूर-दराज़ के गांव का कोई खेतिहर मजदूर, सब पर एक ही कानून लागू होता है। कोई भी व्यक्ति वैधानिक रुप से अपने पद या जन्म के आधार पर विशेषाधिकार या खास व्यवहार का दावा नहीं कर सकता है। हमें अपने देश में इतना अधिकार है कि हम किसी भी हिस्से में रह सकते हैं। कहीं भी व्यवसाय कर सकते हैं।
महिलाएं भी उठाती हैं आवाज
भारत सरकार ने नौकरियों में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है। सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत नौकरियों में महिलाओं, गरीब या शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को प्राथमिकता देती है। हमारे यहां महिलायें आज सभी प्रमुख क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं। आज देश के राष्ट्रपति पद पर भी एक महिला बैठी हुई है। आपको शायद यह जानकर हैरानी हो कि हमारे देश को पहली महिला प्रधानमंत्री अमेरिका या यूरोपीय देशों की तुलना में कहीं पहले मिल चुकी थी। यह तथ्य अपने आप में काफी कुछ कहता है।
लोग करते हैं संस्कृति का सम्मान
हमारा देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों का घर है। दुनिया के कुछ बड़े धर्मों जैसे हिन्दू, बौद्ध, जैन व सिक्ख धर्म की शुरुआत भी भारत में ही हुई। इसके अलावा दुनिया के अलग-अलग कोनों में सताये गए लोगों को भी हमारे देश ने पनाह दी है। जब पूरी दुनिया में इज़राइलियों का शोषण हो रहा था, तब भारत ने उन्हें न केवल पनाह दी बल्कि अपने धर्म को मानने की पूरी आज़ादी भी उन्हें हमारे देश में मिली। हमारे देश के नैतिक व सांस्कृतिक मूल्य ही कुछ ऐसे हैं कि पूरा विश्व उनका सम्मान करता है।
देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर
जब हम अपने देश के हित में कोई कार्य करते हैं तब हम अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं। क्योंकि इस देश ने हमें खुशहाल जीवन दिया है। हमारे जीने के लिए हमारी हर आवश्यकताओं की पूर्ति की। देश के महापुरुषों, क्रांतिकारियों और वीर शहीदों ने हमें यह प्रेरणा दी है कि हम अपने प्राणों से बढ़कर भारत देश की रक्षा करने में जी जान लगा देते हैं।
जन्म भूमि और कर्मभूमि है भारत
हमें भारत के नागरिक होने पर गर्व है। यह हमारी जन्म भूमि और कर्मभूमि है। भारत का अतीत महान और गौरवमय रहा है। भारत में सभी लोगों को अपना जीवन अपनी इच्छा से जीने का अधिकार मिला है। भारत के प्रत्येक नागरिक के अंदर अपनी भारत माता के लिए कुछ कर दिखाने की इच्छा है। First Updated : Wednesday, 27 July 2022