जनभावना टाइम्स डेस्क। देशभर में स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ की तैयारी शुरु हो चुकी है। इस उपलक्ष्य में भारत सरकार की ओर से एक अभियान ''आजादी का अमृत की महोत्सव'' चलाया जा रहा है। हमलोग 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहें हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उज्जैन और मंदसौर में यह राष्ट्रीय उत्सव 27 जुलाई को ही मनाया जा चुका है। जी हां आपने सही सुना! दरअसल, इन दोनों शहरों के मंदिर में पिछले कई सालों से चली आ रही अनूठी परंपरा के तहत हिन्दू पंचांग के आधार पर श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस साल ये तिथि 27 जुलाई को पड़ी।
उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास स्थित गणेश मंदिर के प्रमुख आनंद शंकर व्यास के अनुसार, 'देश 15 अगस्त 1947 को जब अंग्रेजों के राज से आजाद हुआ था, तब हिंदू पंचांग के तहत श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी। हम पिछले 45 वर्षों से इसी तिथि के आधार पर विशेष पूजा-पाठ कर स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, ताकि भारतीय संस्कृति का महत्व समझ सकें। पंडित व्यास का कहना है कि, स्वतंत्रता दिवस के वार्षिक आयोजन के तहत बुधवार को लोग झांझ-मंजीरे, डमरू, शंख और घंटे-घड़ियाल जैसे पारंपरिक वाद्य बजाते हुए तिरंगे झंडे के साथ बड़ा गणेश मंदिर पहुंचे। यहां मंदिर में भगवान गणेश और तिरंगे की पूजा की गई। भोग-आरती के बाद राष्ट्रध्वज को मंदिर पर पूरे सम्मान के साथ फहराया गया।
स्वतंत्रता दिवस पर देश की समृद्धि के लिए पूजा-पाठ
वहीं, मंदसौर की शिवना नदी के किनारे स्थित प्राचीन पशुपतिनाथ मंदिर में भी बुधवार को तिथी के अनुसार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। पशुपतिनाथ मंदिर के पुरोहितों और यजमानों की संस्था 'ज्योतिष और कर्मकांड परिषद' के अध्यक्ष उमेश जोशी का कहना है कि, स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम के दौरान अष्टमुखी शिवलिंग का विशेष श्रृंगार कर पूजा-अर्चना हुई। 'हमने वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच दूर्वा (पूजा में इस्तेमाल होने वाली खास तरह की घास) के जल से शिवलिंग का अभिषेक किया और देश की समृद्धि के लिए प्रार्थना की।' उन्होंने कहा कि, मंदसौर के इस प्राचीन मंदिर में श्रावण कृष्ण चतुर्दशी को स्वतंत्रता दिवस मनाने की परंपरा सन 1985 से चली आ रही है। First Updated : Thursday, 28 July 2022