राहुल गांधी नहीं इस शख्स ने किया था 'भारत जोड़ो यात्रा' का आगाज, 38 साल पहले खास मकसद और खास अंदाज में निकला था काफिला
आज से 38 साल पहले देश में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक 'भारत जोड़ो यात्रा' निकाली गई थी। जानने वाली बात ये है कि दशकों पहले निकली ये यात्रा किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं बल्कि सामाजिक हित में निकाली गई थी।
दक्षिण से उत्तर पहुंची कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’अब अपने शबाब पर दिख रही है.. शुरूआत में भले ही लोगों ने इसे हल्के में लिया हो पर अब सियासी गलियारे में इसके चर्चे होने लगे हैं। हर राज्य में इस यात्रा का अलग-अलग प्रभाव पड़ता दिख रहा है, तो वहीं आम जनमानस का भी राहुल की इस यात्रा के प्रति रूझान जगजाहिर हो चुका है। लेकिन क्या आपको पता है कि राहुल की 'भारत जोड़ो यात्रा'से पहले भी देश में एक ऐसी ही यात्रा निकल चुकी है, जोकि खास मकसद और खास अंदाज में देश के 14 राज्यों से गुजरी थी।
राजनीतिक उद्देश्य से नहीं सामाजिक हित में निकाली गई थी 'भारत जोड़ो यात्रा'
दरअसल, आज से 38 साल पहले देश में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक 'भारत जोड़ो यात्रा' निकाली गई थी। जानने वाली बात ये है कि दशकों पहले निकली ये यात्रा किसी राजनीतिक उद्देश्य से नहीं बल्कि सामाजिक हित में निकाली गई थी। इसमें खास तौर पर देश के युवाओं को शामिल किया गया था और उनके जरिए देश को एक सिरे में पिरोने की कोशिश की गई थी। चलिए आपको सालों पहले निकाली गई 'भारत जोड़ो यात्रा'के बारे में विस्तार से बताते हैं, आखिर किसने इसका का आगाज किया था और कैसे किस तरह से इस यात्रा ने वास्तव में देश को जोड़ने का काम किया था।
हिंसा के दौर से गुजर रहे देश में एकता की अलख जगाने की थी कवायद
असल में, ये यात्रा आज से 3 दशक पहले 1984 में निकाली गई थी, जब देश ऑपरेशन ब्लू स्टार यानी स्वर्ण मंदिर में सैन्य अभियान के बाद हिंसा के दौर से गुजर रहा था। वहीं देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तो देश में सिखों के खिलाफ दंगे ही भड़क गए थे। भारत संप्रदायिकता की आग में जल रहा था, ऐसे में उस वक्त में गांधीवादी समाजसेवी बाबा आमटे ने देश में सामाजिक एकता लाने के उद्देश्य से पूरे भारत में यात्रा करने की ठानी। महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा ले चुके बाबा आमटे ने देश को जोड़ने वाली अपनी यात्रा को नाम दिया 'भारत जोड़ो यात्रा'और निकल पड़े एकता की अलख जगाने।
70 वर्षीय बाबा आमटे की यात्रा में 35 से कम उम्र के युवाओं ने लिया था भाग
गौरतलब है कि बाबा आमटे की इस यात्रा में उन्होंने युवाओं को ही शामिल किया था, क्योंकि उस वक्त में देश का युवावर्ग या तो खुद हिंसात्मक गतिवधियों में संलिप्त था या फिर उससे प्रभावित। ऐसे में बाबा आमटे ने ऐसे युवाओं में सुधार के लिए उन्हे अपनी रैली का हिस्सा बनाया। यात्रा की शुरूआत बाबा आमटे ने कन्याकुमारी से एक साइकिल रैली से शुरू की, जिसमें उनके साथ तकरीबन 100 युवक और 16 महिलाओं का काफिला शामिल था। बताया जाता है कि इस यात्रा में शामिल हुए लोगों की उम्र 35 साल से कम थी, सिवाय बाबा आमटे के। दरअसल बाबा आमटे ने 70 साल की उम्र में इस यात्रा का नेतृत्व किया था, वो चाहते थे कि देश की युवाशक्ति पत्थरबाजी और आगजनी जैसे हिंसक कार्यों को छोड़ राष्ट्र और समाज निर्माण में जुट सके।
बता दें कि बाबा आमटे के नेतृत्व में निकाली गई 'भारत जोड़ो यात्रा'दो चरणों में निकाली गई थी, जिसमें पहला चरण 24 दिसंबर, 1984 को शुरू हुआ और वो कन्याकुमारी से कश्मीर तक पहुंचा था। वहीं इस यात्रा का दूसरा चरण 1988 से 1989 तक रहा है, जिसमें पूर्व से पश्चिम की यात्रा की गई थी। मालूम हो कि देश के 14 राज्यों से गुजरी 'भारत जोड़ो यात्रा'को भारतीय जनता का पूरा समर्थन मिला था, खासकर युवा वर्ग ने इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।