Bharat jodo yatra: राहुल गांधी को यूपी में नहीं मिला विपक्ष का साथ, अखिलेश-मायावती ने खत तक रखी बात
यूपी में मुख्य विपक्षी और बीजेपी के बाद दूसरी बड़ी पार्टी सपा कड़ा रुख के बाद लेटर बाजी करती दिखी। वहीं मायावती का रुख कुछ समझ नहीं आया। जबकि रालोद के गढ़ पश्चिम यूपी में गुजर रही यात्रा को जयंत के समर्थकों ने दर्शक के रूप में ही देखना उचित समझा।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा यूपी से गुजर रही है और चंद घंटों बाद हरियाणा में प्रवेश कर जायेगी। ऐसे में देखा जाए तो 2024के लिए संघर्ष कर रहे विपक्ष के लिए यूपी से टूटी-फूटी तस्वीर सामने आई है क्योंकि राहुल गांधी और कांग्रेस अपने पीछे यूपी जैसे बड़े राज्य के विपक्षी दलों को अपने साथ लाने में नाकाम साबित हुए। मालूम होकि यूपी में मुख्य विपक्षी और बीजेपी के बाद दूसरी बड़ी पार्टी सपा कड़ा रुख के बाद लेटर बाजी करती दिखी। वहीं मायावती का रुख कुछ समझ नहीं आया। जबकि रालोद के गढ़ पश्चिम यूपी में गुजर रही यात्रा को जयंत के समर्थकों ने दर्शक के रूप में ही देखना उचित समझा।
अखिलेश यादव और मायावती ने खत तक रखी सहमति की बात
देखा जाए तो खुद इसकी उम्मीद राहुल गांधी को नहीं थी, क्योंकि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को तमिलनाडु के डीएमके, महाराष्ट्र की शिवसेना और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के बाद बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से राहुल की पदयात्रा के समर्थन के बाद उत्तर प्रदेश से बड़ी उम्मीद थी। 2017की तरह अखिलेश यादव से भी ऐसी ही उम्मीद थी। लेकिन अखिलेश यादव के रुख पर सस्पेंस था। जिसको लेकर कड़ी बात लखनऊ में अखिलेश ने कही थी। अखिलेश ने कहा था कि बीजेपी और कांग्रेस एक जैसे हैं, लेकिन चार दिन बाद ही बदल भी गए थे।
ये बात और हैकि बीजेपी विरोधी राजनीति के लिए राष्ट्रीय स्तर के गठजोड़ में कांग्रेस के साथ सपा कंफर्टेबल नजर आ रही है।इसीलिए अखिलेश ने नया साल में समाजवादी पार्टी के लेटर हेड पर शुभकामना संदेश जारी किया था। क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने विपक्षी नेताओं को यात्रा में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया था। अखिलेश के कुछ देर बार ही मायावती ने भी ट्वीटर तक ही सीमीत रखा था।
बीजेपी के विरोध में विपक्ष के नेता साध रहे हैं अलग-अलग निशाना
हांलाकि ये भी दिख रहा हैकि विपक्ष के नेता अपनी-अपनी पकड़ वाले इलाके में 2024 में अकेले दमपर कुछ अलग करने की हिम्मत बांध रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है, कि चुनाव पूर्व भले ही गठबंधन में ये विपक्षी न दिख रहे हो। लेकिन चुनाव बाद का रास्ता खुला रखना चाहते हैं। इसीलिए बिहार में आज से शुरू हुई यात्रा के बाद नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान पर भी निकलेंगे। लेकिन जितना नीतीश बीजेपी के विरोध में हैं, उतनी धार कांग्रेस के विरोध में नही दिखती है। क्योंकि राजनीति संभावनाओं का खेल है। वो बीजेपी को हटाने के लिए किसी संभावना से इंकार नहीं करते। इसी तरफ अखिलेश भी बढ़ रहे हैं, हालंकि मायावती का रुख अभी भी साफ नहीं है। लेकिन देखा जाए तो भारत जोड़ो यात्रा में जिस सहयोग की उम्मीद कांग्रेस ने बाकी विपक्षी दलों से की थी, वो उसे नहीं मिल पाया है।