26 जनवरी की परेड का एक मुख्य आकर्षण इसमें दिखने वाली देश के विभिन्न राज्यों की झांकी भी होती है, पर बता दें कि इस बार आपको इस परेड में छत्तीसगढ़ की झाकी देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल, छत्तीसगढ़ के तरफ से तैयार की गई झांकी प्रोजेक्ट को रिजेक्ट कर दिया गया है, इतना ही नहीं इसे लेकर राज्य की कांग्रेस सरकार, सीधे तौर पर केंद्र की बीजेपी सरकार को दोषी ठहरा रही है।
राज्य की सरकारी योजना पर आधारित छत्तीसगढ़ की झांकी हुई रिजेक्ट
अब बात करें कि आखिर छत्तीसगढ़ की झांकी में ऐसा क्या था जिसके चलते उसका चयन नहीं हुआ तो भाजपा और कांगेस आपस में भिड़ रही हैं। तो बता दें कि इस साल की छत्तीसगढ़ की झाकी राज्य के मिलेट मिशन पर आधारित बताई थी, जिसमें इस योजना की उपलब्धियों के साथ राज्य सरकार के काम की बात की गई थी। मालूम होकि साल 2021 में कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार ने मिलेट मिशन की शुरूआत की थी। इस योजना के तहत राज्य में मोटा अनाज उगाने वाले किसानों को सरकारी सहायता उपलब्ध कराने की पहल की जा रही है।
क्या है मिलेट मिशन, जिस पर आधारित झांकी को झेलना पड़ा रिजेक्शन
दरअसल, मिलेट मिशन छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार की सबसे प्रभावी योजनाओं में से एक मानी जाती है। इसलिए माना जा रहा है कि झाकी में इस योजना का जिक्र होना राजनीतिक समीकरण साधने जैसा था, जिसके चलते इस झांकी को रिजेक्शन झेलना पड़ा है। ऐसे में राज्य की भूपेश बघेल की सरकार इसका सीधा दोष केंद्र की भाजपा सरकार पर मढ़ रही है। इस बाबत राज्य के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने इसे भाजपा की बदले की कार्यवाही बताया है।
वहीं इसके जवाब में बीजेपी विधायक सुनील सोनी ने ऐसे आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ की सरकार के पास झांकी में दिखाने के लिए राज्य की संस्कृति और विशाल धरोहर से जुड़े कई सारे विषय थे, पर उन्होनें अपने सरकार के मिलेट मिशन को चुना जो राज्य सरकार की राजनीतिक मंशा को बताती है। इसलिए झाकी के रिजेक्ट होने पर कांग्रेस बेवजह ही सवाल उठा रही है और बीजेपी पर आरोप मढ़ रही हैं। First Updated : Saturday, 07 January 2023