देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट अपना लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म बनाने की दिशा में काम कर रहा है। शुक्रवार को अदालत ने कहा कि मुकदमों की सुनवाई स्ट्रीम करने के लिए वह अपना ‘न्यायिक बुनियादी ढांचा’ विकसित करने की दिशा में कदम उठा रहा है ताकि ‘‘कोर्ट की शुचिता को बनाए रखा जा सके।’’ कोर्ट ने कहा कि मुकदमों की लाइव स्ट्रीमिंग देखने की इजाजत ‘प्रामाणिक व्यक्तियों’ जैसे वादी/प्रतिवादी आदि को होगी।
इस पर संज्ञान लेते हुए कि कई बार समुचित संदर्भ के बगैर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘छोटे-छोटी क्लिप’ उपलब्ध होते हैं। आपको बता दें कि अदालत लाइव स्ट्रीमिंग के विभिन्न पहलुओं पर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
भारत के 50 वें व वर्तमान मुख्य न्यायधीश धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि उसे लाइव स्ट्रीमिंग के लिए समान नियम बनाने होंगे। हो सके तो पूरे देश के लिए ऐसा करना होगा और अदालती रिकॉर्डों के डिजिटलीकरण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तय करनी होगी। पीठ, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह द्वारा लाइव स्ट्रीमिंग के विभिन्न पहलुओं पर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
जयसिंह ने अपनी याचिका में कहा कि कोर्ट के छोटे- छोटे क्लिप सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम में प्रसारित हो रहे है। उसमें कोई समुचित संदर्भ नहीं होगा। इसलिए इस संबंध में उचित नियम बनाने की जरूरत है। भारत के मुख्य न्यायधीश धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ ने कहा कि" अगर हमारे पास अपना समाधान हो. तो यह समस्या नहीं आएगी। जब आप लाइव स्ट्रीम करते हैं तो यह उन फिल्मों या गानों की तरह होता है। जो यू-ट्यूब पर उपलब्ध है। वे 24 घंटे उपलब्ध होंगे व कोई भी उनसे छोटा- सा क्लिप बना सकता है" First Updated : Saturday, 26 November 2022