सर्दियां आते ही कोरोना ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। विदेशों से आने वाले यात्री अपने साथ संक्रमण लेकर लौट रहे हैं। देश के अलग-अलग हवाई अड्डों पर उतरने वालों की गहन जांच हो रही है। अब तक कोई 24 लोग कोविड पॉजिटिव निकले हैं। अच्छी बात ये है कि तैयारियां मुकम्मल हैं। सरकारी मशीनरी मुस्तैद है।इसलिए विभिन्न हवाई अड्डों पर बाहर से आने वालों की जांच में कोविड के लक्षण पाए जाते ही उन्हें क्वारंटीन किया जा रहा है।
विदेशों में खासकर पश्चिमी देशों में इन दिनों क्रिसमस की छुट्टियां हैं। इसलिए वहां शिक्षा लेने वाले या नौकरीपेशा लोग छुट्टियों में भारत आ रहे हैं। लेकिन ये वक्त है जब कोविड फैल रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि तीन महीने यानि दिसंबर जो अब खत्म होने को है, इसके बाद जनवरी और फरवरी ये महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि आगामी दो महीनों में खास एहतियात बरतना है।
मतलब शीशे की तरह साफ है। इन महीनों में संक्रमण तेजी से फैल सकता है। भारत के लिहाज से अगर देखा जाए तो घबराने की ज्यादा आवश्यकता इसलिए भी नहीं हैं क्योंकि यहां अधिकतर आबादी को बूस्टर डोज लग चुकी है। जहां नहीं लगी वहां अभी लग रही है। लोगो खुद ही टीकाकरण केंद्रों पर जाकर वैक्सीन लगवा रहे हैं।हालांकि हमारे कुछ राज्य ऐसे हैं जहां अभी तक शत-प्रतिशत बूस्टर डोज नहीं लगी है।
ऐसे राज्यों में झारखंड और उत्तराखंड का नाम प्रमुख है। एक जानकारी ये मिली थी कि उत्तराखंड में अभी तक 65 फीसदी लोगों ने बूस्टर डोज नहीं लगवाई।राज्य सरकार को इस हीलाहवाली पर ध्यान देना होगा। ये पता लगाए जाने की जरूरत है कि लोगों ने बूस्टर डोज खुद नहीं लगवाई या प्रशासनिक स्तर पर कोई खामी रह गयी।जाहिर है कि ये वक्त किसी को दोष देने का भी नहीं है।
देश अब 2020 वाला बुरा वक्त अब नहीं देखना चाहता। सरकार लोगों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। इसके लिए प्रचार भी किया जा रहा है।हालांकि हमारे यहां मास्क को अनिवार्य नहीं किया गया है। इसका मतलब ये नहीं कि हम बेपरवाह हो जाएं।सरकारी स्तर पर कोविड से निपटने की तैयारियों के तहत पूर्वाभ्यास( मॉक ड्रिल) भी किया जा रहा है।
दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक हलचल है।दिल्ली में भी मॉक ड्रिल किया गया।उत्तर प्रदेश में भी यही तैयारी चल रही है। योगी सरकार ने अस्पतालों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी तरह की कोताही ना बरती जाए। किसी भी चीज की कमी ना हो चाहे वह वैन्टीलेटर हो या ऑक्सीजन के सिलेंडर या कंसन्ट्रेटर हो,हर जरूरी चीज का पूरा इंतजाम हो।
भारत ने कोविड के पिछले दौर में बहुत बड़ा नुकसान झेला है। चाहे वह इंसानी जान-माल का नुकसान हो या आर्थिक घाटा। हम तेजी से 5 ट्रिलियन की इकॉनोमी का लक्ष्य हासिल करने की ओर अग्रसर हैं। दुनिया भारत की ताकत देख रही है।आज हम चीन जैसे देश को दवा और वैक्सीन देने की पेशकश कर रहे हैं। ऐसे में हर कदम फूंक-फूंककर रखने की जरूरत है। First Updated : Tuesday, 27 December 2022