देश की 15वीं राष्ट्रपति बनी द्रौपदी मुर्मू

भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बन गई है। अब द्रोपदी मुर्मू देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने के नाम का ऐलान किया था

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भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बन गई है। अब द्रोपदी मुर्मू देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने के नाम का ऐलान किया था। द्रौपदी मुर्मू एनडीए की तरफ से इस बार होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित हुई थी। द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी राष्‍ट्रपति बनी। ऐसा नहीं है कि द्रौपदी मुर्मू का नाम पहली बार राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर सामने आया है बल्कि 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में भी झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम की चर्चा जोरों पर थी लेकिन उस दौरान रामनाथ कोविंद के नाम पर मुहर लगी और उन्हें ही राष्ट्रपति चुना गया।

अब एक नजर डाल लेते हैं द्रौपदी मुर्मू के अबतक के सफर पर। द्रौपदी मुर्मू का जन्‍म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में हुआ। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू है। वे आदिवासी संथास परिवार से संबंध रखती हैं। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी और उन्हे दो बेटे और एक बेटी भी हुई लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया। उसके बाद घर चलाने के लिए और बेटी के पालन-पोषण के लिए मुर्मू ने एक शिक्षिका के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और उसके बाद उन्होंने ओडिसा के सिंचाई विभाग में एक क्लर्क के पद पर नौकरी शुरू की।

द्रौपदी मुर्मू सिंचाई और बिजली विभाग में 1979 से 1983 तक क्लर्क के तौर पर काम किया। साल 1994 से 1997 तक उन्‍होंरे रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीगरल एजुकेशन सेंटर में ऑनरेरी असिस्‍टेंट टीचर के तौर पर भी सेवाएं दीं। द्रौपदी का बचपन गरीबी और अभावों के बीच बीता। ऐसी स्थिति में भी संघर्ष करते हुए उन्‍होंने ऊंचाइयों को छुआ। उन्‍होंने बीए तक शिक्षा हासिल की है। अपनी बेटी इति मुर्मू को भी पढ़ाया लिखाया, बेटी ने भी कॉलेज की पढ़ाई के बाद एक बैंक में नौकरी हासिल कर ली। अब उनकी बेटी इति मुर्मू रांची में अपने पति गणेश और एक बेटी आद्या श्री के साथ रांची में रहती हैं। द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में ओडिशा के मयूऱभंज जिले की रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। उन्होंने बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया और वो बीजेपी की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं। साल 2000 और 2009 में द्रौपदी मुर्म बीजेपी के टिकट पर रायरंगपुर सीट से दो बार विधायक चुनी गई। ओडिशा में बीजेडी और बीजेपी गठबंधन सरकार में द्रौपदी मंत्री रह चुकी हैं।

उन्‍होंने मार्च 2000 से कई 2004 तक राज्‍य के वाणिज्‍य और परिवहन तथा मत्‍स्‍य और पशु संसाधन विकास विभाग के मंत्री का पद संभाला। साल 2007 में द्रौपदी को ओडिशा विधानसभा के बेस्‍ट एमएलए ऑफ द ईयर पुरस्‍कार से नवाजा गया था। द्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं। उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी। झारखंड की ऐसी पहली राज्‍यपाल थीं जिन्‍होंने वर्ष 2000 में इस राज्‍य के गठन के बाद पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। उन्‍होंने वर्ष 2015 से 2021 तक झारखंड के राज्‍यपाल का पद संभाला। द्रौपदी मुर्म ओडिशा से देश की राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी शख्स होंगी, इससे पहले ओडिशा से वीवी गिरी देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं।

साथ ही वे देश की पहली आदिवासी राष्‍ट्रपति भी होंगी। इतना ही नहीं वो देश की सबसे युवा राष्ट्रपति भी बनेंगी। मुर्मू जब 25 जुलाई को शपथ ग्रहण करेंगी उस दिन उनकी उम्र 64 साल 35 दिन होगी। फिलहाल सबसे युवा राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी के पास है। रेड्डी जब राष्ट्रपति बने थे उस वक्त उनकी उम्र 64 साल दो महीने 6 दिन थी। किसी समय एक क्लर्क के पद पर काम चुकीं आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू पहली बार राष्ट्रपति भवन में दाखिल होंगी। First Updated : Thursday, 21 July 2022