आजादी के बाद पहली बार बाजरा किसानों की जरूरतों पर ध्यान दे रही सरकारः PM Modi

पीएम मोदी ने दो दिवसीय वैश्विक कदन्न सम्मेलन में कहा कि मुझे गर्व है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 का नेतृत्व कर रहा है। ग्लोबल बाजरा सम्मेलन जैसे आयोजन न केवल ग्लोबल गुड के लिए आवश्यक हैं बल्कि ग्लोबल गुड के लिए भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का प्रतीक भी हैं।

Lalit Hudda
Lalit Hudda

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में दो दिवसीय वैश्विक कदन्न सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने एक डाक टिकट जारी किया और 2023 के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के आधिकारिक सिक्के का भी अनावरण किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कह कि मुझे गर्व है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष का नेतृत्व कर रहा है। ग्लोबल बाजरा सम्मेलन जैसे आयोजन न केवल ग्लोबल गुड के लिए आवश्यक हैं बल्कि ग्लोबल गुड के लिए भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का प्रतीक भी हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि यह हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है कि भारत के प्रस्ताव और प्रयासों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ बाजरा (आईवाईएम) घोषित किया। भारत के 75 लाख से ज्यादा किसान आज इस समारोह में वर्चुअली माध्यम से हमारे साथ जुड़े है। जो इसके महत्व को दर्शाता है। पीएम मोदी ने छोटे किसानो के लाभ के बारे बताते हुए कहा कि 'देश के 2.5 करोड़ छोटे किसान सीधे तौर पर बाजरे से जुड़े हैं। श्री अन्ना के लिए हमारा मिशन छोटे किसानों के लिए वरदान साबित होने जा रहा है।'

पीएम मोदी ने कहा कि 'श्री अन्ना बाजार से छोटे किसानों और इससे जुड़े इकोसिस्टम को फायदा होगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी फायदा मिलेगा।' प्रधानमंत्री ने कहा कि 'मिलेट्स को देश के 19 जिलों में एक जिला एक उत्पाद योजना के लिए भी चुना गया है। भारत वर्तमान में जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। इसका आदर्श वाक्य वन अर्थ वन फैमिली, वन फ्यूचर भी बाजरा के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष में परिलक्षित होता है। इससे नए रोजगार भी सृजित कर रहे हैं।'

वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किए जाने के परिणामस्वरूप श्री अन्ना की घरेलू और वैश्विक मांग बढ़ी है।' इसके साथ ही इथियोपिया के राष्ट्रपति सहले-वर्क ज़ेवडे ने कहा कि 'जैसा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2023 के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष का अवलोकन करते हुए घोषित किया गया है। बाजरा उत्पादन बढ़ाने के सामूहिक प्रयासों की ओर जोर सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडे में योगदान देगा।'

सयुंक्त राष्ट्र ने 2021 में प्रस्ताव स्वीकार किया था

पीएम मोदी ने कहा, 'वैश्विक सम्मेलन में 100 से अधिक देशों की भागीदारी देखने की उम्मीद है। इसके साथ ही दुनिया भर से कई हितधारक इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। 5 मार्च, 2021 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया। इस घोषणा के माध्यम से यूएनजीए का का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए पोषक अनाज (बाजरा) के बारे में जागरूकता बढ़ाना, आरएंडडी व विस्तार में निवेश को बढ़ाना और मोटे अनाज के उत्पादन, उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए हितधारकों को प्रेरित करना है।'

इंटरनेशनल ईयर ऑफ बाजरा को जन आंदोलन बनाने का लक्ष्य

पीएम मोदी ने कहा, 'भारत का लक्ष्य किसान, उपभोक्ता और जलवायु के समग्र लाभ के लिए इंटरनेशनल ईयर ऑफ बाजरा (आईवाईएम) 2023 को एक जन आंदोलन बनाना है। आईवाईएम की गति को आगे ले जाने के लिए भारत ने इसके उद्देश्यों को प्राप्त करने और भारत को अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिए भारत और विदेशों में किसानों, स्टार्टअप्स, निर्यातकों, खुदरा व्यवसायों, होटल संघों और सरकार के विभिन्न अंगों को शामिल करके एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण अपनाया है। साल 2023 बाजरा को अपनाने और बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर एक साल तक चलने वाले अभियान और कई गतिविधियों का गवाह बनेगा।'

सम्मेलन में आईसीआरआईएसएटी के महानिदेशक डॉ जैकलीन ह्यूजेस, जोंग-जिन किम, क्रिकेटर कपिल देव, गीता फोगट, राष्ट्रमंडल स्वर्ण पदक विजेता शेफ थॉमस गुगलर शामिल होंगे। बाजरा के प्रचार के लिए 50 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों, आयातकों, निर्यातकों और प्रोसेसर की भागीदारी के साथ बाजरा पर ध्यान देने के साथ एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इसमें 100 से अधिक स्टालों की प्रदर्शनी में बाजरा आधारित स्टार्ट-अप्स, निर्यातकों द्वारा बाजरा और बाजरा-आधारित रेडी-टू-कुक और रेडी-टू-ईट उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा।

इसके अलावा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय रसोइयों द्वारा लाइव कुकिंग सत्र भी आयोजित किए जाएंगे। दो दिवसीय सम्मेलन में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) किसान स्वयं सहायता समूहों, कृषि-विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों, ग्राम पंचायतों के साथ अन्य सहकारी संस्थानों में भागीदारी होगी।

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18 March 2023, 09:14 PM IST

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