Congress से बगावत कर आजाद हुए गुलाम नबी पड़े मुश्किल में, साथ छोड़ सैकड़ों नेता कांग्रेस में वापसी को तैयार
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो आने वाले दिनों में 150 से अधिक नेता आजाद की पार्टी को छोड़ कांग्रेस में लौट सकते हैं। बताया जा रहा है कि इनमें जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री तारा चंद के साथ ही पूर्व मंत्री मनोहर लाल और पूर्व विधायक बलवान सिंह जैसे कई बड़े चेहरे शामिल हैं।
40 दशकों तक कांग्रेस के साथ सियासत की गलियारों में हुंकार भरने वाले गुलाम नबी आजाद ने जब पार्टी से बगावत कर नए सफर का आगाज किया तो लगा कि उनकी ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ देश की राजनीति में नया अध्याय लिखेगी। लेकिन महज कुछ सालों बाद ही आजाद (Gulam Nabi Azad)और उनकी पार्टी बड़े संकट में जाती दिख रही है। दरअसल, मीडिया में आई खबरों की माने तो गुलाम नबी संग कांग्रेस छोड़ गए,डेढ़ सौ नेता घर वापसी करने जा रहे है, जिसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद का नाम भी शामिलहै।
डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी से खत्म हुआ कांग्रेस के बागी नेताओं का भरोसा
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने कांग्रसे और गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद साल 2020 में अपनी डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी से नए सफर का आगाज किया था। मालूम हो कि गुलाम इसके लिए पूरी खेमेंबाजी कर अपने साथ सैकड़ो कांग्रेस नेताओं को लेकर गए थे। पर लगता है कि कुछ सालों में ही गुलाम नबी आजाद के साथ गए इन नेताओं का उनपर से भरोसा खत्म हो चला है। तभी तो ये सभी पार्टी कार्यकर्ता और नेता एक बार फिर कांग्रेस में वापसी के लिए बेकरार दिख रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो आने वाले दिनों में 150 से अधिक नेता आजाद की पार्टी को छोड़ कांग्रेस में लौट सकते हैं। बताया जा रहा है कि इनमें जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री तारा चंदके साथ हीपूर्व मंत्री मनोहर लालऔर पूर्व विधायक बलवान सिंह जैसे कई बड़े चेहरे शामिल हैं।
गुलाम नबी आजाद के भी बदले-बदले सुर नजर आ रहे हैं
वैसे देखा जाए तो बीते दिनों में जिस तरह के बयान खुद गुलाम नबी आजाद के ज़ुबान से निकल रहे हैं, उसे देख तो ये भी कयास लग रहे हैं कि कहीं खुद आजाद भी कांग्रेस के सामने सरेंडर न कर दें। दरअसल कुछ वक्त पहले जब आजाद के बीजेपी में जाने की खबरें सामने आई तो उन्होने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गलतफहमी भी दूर कर दी। इस कॉन्फ्रेंस में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि देश में कांग्रेस ही अकेली ऐसी पार्टी है जो भारतीय जनता पार्टी को चुनौती दे सकती है, क्योंकि ये पार्टी हिंदू-मुस्लिम और किसानों समेत सभी लोगों को साथ लेकर चल रही है।
ऐसे में गुलाम नबी आजाद के इस बयाने के दूर तक मायने निकाले गए कि कहीं वो इस बयान के जरिए अपनी घर की वापसी के रास्ते तो नहीं ढूढ़ रहे हैं।