हिन्दू नववर्ष: सूर्य को अर्ध्य देकर करें मनोकामनाएं पूरी

प्रतिपदा तिथि की शुरूआत वैसे तो 1 अप्रैल को दोपहर 11 बजे बाद ही मानी जा रही है लेकिन भारतीय ज्योतिषीय गणना में सूर्योदय वाली तिथि अधिक मान्य होती है इसलिए ज्योतिषियों का कहना है कि चैत्र प्रतिपदा पर पूजन अर्चन करने के लिए 2 अप्रैल ही श्रेष्ठ होगा। हालांकि इस दिन यह तिथि दोपहर 12 बजे के बाद खत्म हो जाएगी।

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हिन्दू नववर्ष की शुरूआत 2 अप्रैल से होगी।

इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरूआत हो रही है। ज्योतिषियों के अनुसार हिन्दू नववर्ष के पहले दिन को गुड़ी पड़वा भी कहा जाता है और यदि इस दिन सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाए तो मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होती है। वैसे भी भारतीय परंपरानुसार इस दिन सूर्य को अर्घ्य देकर ही नये वर्ष की शुरूआत की जाती है। बता दें कि जिस तरह से अंग्रेजी नववर्ष की स्वागत हमारे देश में किया जाता है उसी तरह से हिन्दू नववर्ष का भी स्वागत जोर-शोर से होता है और इसकी तैयारियां विभिन्न सामाजिक संगठनों ने शुरू कर दी है। ज्योतिषीय मान्यता यह है कि चैत्र प्रतिपदा पर दान दिया जाए तो भी समस्त मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होती है। रसोई घर से आएगी पुरनपोली की सुगंध अधिकांश घरों में इस अवसर पर पुरनपोली बनाई जाकर घर आने वाले मेहमानों को परोसी जाती है।

इसकी तैयारियां भी एक दिन पहले से हो जाती है तथा इस दिन सुबह से ही रसोई घरों से पुरनपोली की सुंगध आएगी। कब होगी तिथि की शुरूआत प्रतिपदा तिथि की शुरूआत वैसे तो 1 अप्रैल को दोपहर 11 बजे बाद ही मानी जा रही है लेकिन भारतीय ज्योतिषीय गणना में सूर्योदय वाली तिथि अधिक मान्य होती है इसलिए ज्योतिषियों का कहना है कि चैत्र प्रतिपदा पर पूजन अर्चन करने के लिए 2 अप्रैल ही श्रेष्ठ होगा। हालांकि इस दिन यह तिथि दोपहर 12 बजे के बाद खत्म हो जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए शुभ मुर्हूत सुबह 6.10 बजे से लेकर 8.29 बजे तक रहेगा। जबकि अभिजीत मुर्हूत सुबह 11.37 से दोपहर 12.27 बजे तक बताया गया है। First Updated : Thursday, 24 March 2022

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