राहुल गांधी के सामने छवि का संकट
अखिल भारतीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। पिछले दिनों में भारत जोड़ो यात्रा के साथ दक्षिण भारत से उत्तर भारत तक करीब 4000 किलोमीटर की पदयात्रा की इस यात्रा के माध्यम से उन्होंने भारत को एक कड़ी में जोड़ने का संदेश देने का प्रयास किया।
अखिल भारतीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। पिछले दिनों में भारत जोड़ो यात्रा के साथ दक्षिण भारत से उत्तर भारत तक करीब 4000 किलोमीटर की पदयात्रा की इस यात्रा के माध्यम से उन्होंने भारत को एक कड़ी में जोड़ने का संदेश देने का प्रयास किया। कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी के साथ पूरी पार्टी के लोगों ने इस यात्रा में उनका भरपूर सहयोग दिया। यही नहीं यात्रा के बाद भी पार्टी के लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं ने इस यात्रा के लाभ और जनता के मिले जनसमर्थन को सबके सामने बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया।
खैर यह बात पुरानी हो चली है। राहुल गांधी और उनके साथ चलने वाले विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। कुछ दिन पूर्व राहुल गांधी इंग्लैंड की यात्रा पर गए थे। वहां पर उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में बोलते वक्त कुछ ऐसा बोल गए, जिसे लेकर सभी लोगों को आपत्ति जताई है। अपने वक्तव्य में उन्होंने भारत में लोकतंत्र के खतरे की घंटी का संकेत दिया था। इसे लेकर तब से लेकर अभी तक विवाद बना हुआ है। खासकर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने राहुल गांधी को वक्तव्य देने के बाद से ही उन्हें घेरने का काम शुरू कर दिया। वक्तव्य देने के बाद ही भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह राहुल की पुरानी आदत है। वह विदेशों में जाकर भारत की छवि धूमिल करने का प्रयास करते हैं भारत में तो उन्हें कोई पूछता नहीं है इसलिए वह बाहर जाकर जिसकी बदनामी कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने यह पहली बार ऐसा नहीं किया है। दो तीन बार वह इंग्लैंड में ही जाकर भारत की अंदरूनी लोकतंत्र और यहां के राजनीतिक माहौल पर अनुचित टिप्पणी कर चुके हैं। इसे लेकर उनकी किरकिरी भी हुई, लेकिन उन्होंने इससे कोई सीख नहीं ली। इसकी यह वजह है कि वह लगातार भारत के बाहर जाकर अंदरूनी मसलों को उठाकर लोगों को ध्यान अपनी और आकर्षित करने की कोशिस कर रहे हैं। हालांकि इन वक्तव्य के पीछे उनकी मंशा यह रहती है कि वह एक अंतरराष्ट्रीय छवि के नेता के रूप में उभर कर आएंगे। लेकिन होता इसके उलट है। जैसे ही उनके द्वारा इस तरह का उटपटांग बयान आता है। मीडिया उनके पीछे लग जाती है और उनके द्वारा कहे गए भाषणों और वक्तव्य के बारे में सवाल पूछती है। यही नहीं उनके द्वारा दिए गए भाषणों के बारे में भारत की जनता भी सवाल पूछने से पीछे नहीं हटती है। उनके कार्यक्रमों के बाद सोशल मीडिया पर उनकी खिंचाई करने वालों की बाढ़ आ जाती है। यह संख्या हजारों लाखों में पहुंच जाती है और उनसे पूछा जाता है कि आखिर आप भारत की बदनामी कब तक कराते रहोगे। मजे की बात है कि इस मामले में कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता की टिप्पणी उनके विरोध में नहीं आती है। बल्कि ऐसे नेता उनकी तारीफ करने में पीछे नहीं हटते हैं।
शायद ऐसे कुछ पिछलग्गू नेताओं की मंशा यह रहती है कि ऐसा करने पर उनके प्रिय नेता राहुल गांधी की छवि में सुधार होगा। लेकिन पिछले अनुभवों को देखते हुए ऐसा दिखाई नहीं पड़ता। जैसे-जैसे राहुल गांधी विदेशों में जाकर देश के बारे में टिप्पणी करते हैं उनकी छवि लगातार गिरती जाती है। यह जानते हुए भी वह अपने इस स्थिति को सुधरने का काम नहीं कर रहे हैं। अगर ऐसा चलता रहा तो आने वाले दिनों में उनकी छवि को और भी बड़ा झटका लगेगा। हालांकि कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता ऐसा मानते हैं कि विदेशों में जाकर मीडिया के सामने ऐसा बयान देने पर राहुल गांधी की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े नेता के तौर पर उभरती है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है जैसे-जैसे उनके बयान का स्तर गिर रहा है। उसी प्रकार धीरे-धीरे उनकी छवि गिरती जा रही है। इसके लिए उन्हें काफी सोचने की जरूरत है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो आने वाले दिनों में राजनीति में उनके लिए कठिन समस्या पैदा हो सकती है।