हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को सर्वश्रेष्ठ तिथि कहा जाता है। कहते हैं कि एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है क्योंकि एकादशी भगवान श्रीहरि के ही शरीर से उत्पन्न हुई है। इसलिए इसे सभी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ और पूजनीय माना गया है। इन्हीं में से एक है माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे जया एकादशी कहा जाता है। जया एकादशी को भूमि एकादशी भी कहा जाता है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और उनका व्रत किया जाता है।
इस साल यानी 2023 में जया एकादशी 01 फरवरी यानी बुधवार को मनाई जाएगी। एक फरवरी को जया एकादशी का व्रत किया जाएगा और अगले दिन यानी द्वादशी को इस व्रत का पारण किया जाएगा जो कि भीष्म द्वादशी कही जाती है।
जया एकादशी की तिथि 31 जनवरी दोपहर को 11।55 पर आरंभ हो जाएगी और अगले दिन यानी बुधवार को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि जया एकादशी पर विधिवित तौर पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करना चाहिए। इस दिन संयमशील व्रत करने से पूर्व जन्म के तमाम पापों से मुक्ति मिल जाती है और जातक को पाप और पिशाच योनि से छुटकारा मिलता है। इस दिन व्रत करने से अश्वमेघ जैसे बड़े यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है।
पद्म पुराण में जया एकादशी को लेकर एक कथा कही गई है कि स्वर्ग में माल्यवान नामक गंधर्व और पुष्वावती नामक अप्सरा नृत्य कर रहे थे। सभा में दोनों एक दूसरे पर मोहित हो गए और इससे उनके नृत्य और गायन की ताल बिगड़ गई, इससे क्रोधित होकर इंद्र ने दोनों को पिशाच योनि में जाने का शाप दिया। पिशाच योनि में इन दोनों को भयंकर दुख झेलने पड़े। जया एकादशी पर इन दोनों को पूरे दिन खाना पानी नहीं मिला और रात को ठंड के चलते पूरी रात जागकर उन्होंने भगवान का जाप किया जिससे इनका जया एकादशी का व्रत पूरा हो गया और उनको पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई।
इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इस दिन स्नानादि के बाद भगवान विष्णु के लिए चौकी स्थापित करें और उनको जलाभिषेक करें। उनको पीले फूल और फल अर्पित करें। भगवान विष्णु को इस दिन तुलसी दल अर्पित करने पर परम सौभाग्य प्राप्त होता है। इसके बाद आरती करें दोपहर को जया एकादशी की कथा सुने और जरूरतमंदों को अन्न, जल, वस्त्र आदि दान करें।