वाराणसी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिवसीय दौरे के लिए अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे हैं। पीएम अपने दुसरे कार्यक्रम के लिए सिगरा पहुंचे जहां उन्होंने वाराणसी में विभिन्न विकास पहलों का शुभारंभ किया।साथ ही पीएम ने एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया.पीएम ने कहा कि विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के लोगों ने और मेरी काशी के लोगों ने जो समर्थन दिया, उमंग और उत्साह के साथ मेरा जो साथ दिया।इसलिए मैं आज जब चुनाव के बाद पहली बार आपके बीच आया हूं तो आदरपूर्वक काशीवासियों का, उत्तर प्रदेश के वासियों के धन्यवाद करता हूं। अब काशी ने एक तस्वीर पूरे देश को दिखाई है जिसमें विरासत भी है और विकास भी है।काशी में एक प्रोजेक्ट खतम होता है, तो चार नए प्रोजेक्ट शुरू हो जाते हैं।आज भी काशी में 1,700 करोड़ रुपये के दर्जनों प्रोजेक्ट का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है।
पीएम ने आगे कहा कि काशी के नागरिकों ने पूरे देश को संदेश दे दिया है कि शॉर्ट-कट से देश का भला नहीं हो सकता।आज हम देख रहे हैं कि जब दुरगामी प्लानिंग होती है, तो किस तरह नतीजे भी निकलते हैं। 8 वर्षों में काशी का इंफ्रास्ट्रक्चर कहां से कहां पहुंच गया है।इससे किसान, मजदूर, व्यापारी सभी को लाभ हो रहा है।व्यापार बढ़ रहा है, कारोबार बढ़ रहा है, पर्यटन में विस्तार हो रहा है,देश और दुनिया से बाबा भक्त भारी संख्या में काशी आने वाले हैं।
पीएम ने आगे विश्वनाथ धाम परियोजना का जिक्र कर कहा कि विश्वनाथ धाम परियोजना पूरी होने के बाद ये पहला सावन उत्सव होगा।विश्वनाथ धाम को लेकर पूरी दुनिया में कितना उत्साह है ये आपने बीते महीनों में खुद अनुभव किया है।सावन के दौरान यहां बाबा के भक्तों को दिव्य, भव्य और नव्य काशी का भी अनुभव मिलेगा।दुनिया भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को काशी में आस्था और आध्यात्म का निर्बाध अनुभव मिले ये हम सभी का कमिटमेंट है।हमारे लिए विकास का अर्थ सिर्फ चमक-धमक नहीं है।हमारे लिए विकास का अर्थ है- गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी, माताएं-बहनें इन सभी का सशक्तिकरण।
पीएम इससे पहले अखिल भारतीय शिक्षा समागम के एक कार्यक्रम में पहुंचे.जहां उन्होंने नई शिक्षा नीति का जिक्र कर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य आधार शिक्षा को संकुचित सोच के दायरे से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के विचारों से जोड़ना है। हमारे देश में मेधा की कभी कमी नहीं रही। लेकिन दुर्भाग्य से हमें ऐसी व्यवस्था बनाकर दी गई थी, जिसमें पढ़ाई का मतलब नौकरी ही माना गया।आजादी के बाद शिक्षा नीति में थोड़ा बहुत बदलाव हुआ, लेकिन बहुत बड़ा बदलाव रह गया था। अंग्रेजों की बनाई व्यवस्था कभी भी भारत के मूल स्वभाव का हिस्सा नहीं थी और न हो सकती।नए भारत के निर्माण के लिए नई व्यवस्थाओं का निर्माण, आधुनिक व्यवस्थाओं का समावेश उतना ही जरूरी है। जो पहले कभी भी नहीं हुआ, जिनकी देश पहले कभी कल्पना भी नहीं करता था, वो आज के भारत में हकीकत बन रहे हैं। First Updated : Thursday, 07 July 2022