जानिए तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में कब अपनाया गया, क्यों गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री नहीं फहराते झंडा
22 जुलाई, 1947 को भारतीय संविधान सभा की बैठक हुई। इस बैठक के दौरान तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया।
आज अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। देश में हर कोई देश भक्ति में लीन है। चारों तरफ राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा रहा है। 26 जनवरी हर भारतीय राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में इसे मनाता है। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लाल किले पर तिरंगा फहराया और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम का शुभारंभ किया। देश में इस राष्ट्रीय त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है।
तिरंगा सिर्फ राष्ट्रीय ध्वज ही नहीं बल्कि ये देश की आन-बान-शान है। इसलिए हर भारतीय ते दिल में अपने देश के गौरव तिरंगे के लिए अलग ही प्यार है। आज हर देश के पास इसकी पहचान के लिए ध्वज होता है भारत के पास भी तिरंगा है। ये देश की स्वतंत्रता की निशानी है।
22 जुलाई, 1947 को भारतीय संविधान सभा की बैठक हुई। इस बैठक के दौरान तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। इसके साथ ही तिरंगा देश का राष्ट्रीय झंडा बना। आपको बता दें कि इस तिरंगे में तीन रंग हैं। जिसमें केसरिया, सफेद और हरा है।
केसरिया रंग त्याग और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग शांति, एकता और सच्चाई और हरा रंग विश्वास और उर्वरता का प्रतीक है। तिरंगे के बीच में नीले रंग का अशोक चक्र भी है। जिसमें 24 तीलियां होती हैं।
26 जनवरी को पीएम नहीं फहराते तिरंगा
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था। उस समय संविधान नहीं बना था इसलिए देश का मुखिया प्रधानमंत्री थे। तब प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर ध्वजारोहण था। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान बना और डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति बन चुके थे। राष्ट्रीय देश के पहले नागरिक माने जाते हैं इसलिए 26 जनवरी को उन्होंने तिरंगा फहराया था। तभी से हर साल 26 जनवरी को राष्ट्रपति झंडा फहराते और स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं।