जानें आखिर 1 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं नया साल
हम सभी नये साल का स्वागत एक नई उम्मीद और बहुत ही हर्षोल्लास के साथ करते है। इस दिन को एक अच्छी आदत के साथ शुरू करते है। लेकिन क्या आप यह जानते है आखिर 1 जनवरी को ही क्यों नया साल मनाया जाता है, बाकी दिन क्यों नहीं? आखिर इसके पीछे का क्या इतिहास है।
हम सभी नये साल का स्वागत एक नई उम्मीद और बहुत ही हर्षोल्लास के साथ करते हैं। इस दिन को एक अच्छी आदत के साथ शुरू करते हैं। लेकिन क्या आप यह जानते है आखिर 1 जनवरी को ही क्यों नया साल मनाया जाता है, बाकी दिन क्यों नहीं? आखिर इसके पीछे का क्या इतिहास है।
नए साल के इस ख़ुशी पर लोग बड़े ही ज़ोरों से तैयारियां कर रहे हैं। इस दिन सभी कुछ न कुछ खास करते है, जैसे - घर में पार्टी सेलिब्रेट करना , दोस्तों और परिवार के साथ बाहर घूमने जाना आदि। हर साल की आखिर में 31 दिसंबर की रात को लोग बड़ी ही धूमधाम से पार्टी करते है। पुराने साल को बाय - बाय कर नए साल का स्वागत बड़ी ही आशा और उम्मीद से करते है और प्रार्थना करते है की नया साल उनके लिए ख़ुशी लेकर आये।
क्यों मनाते है 1 जनवरी को ही नया साल
सन् 1582 में रोमन कैलेंडर के मुताबिक साल में केवल 10 महीने होते थे। उस समय नया साल मार्च महीने में वसंत ऋतु के आने पर शुरू होता था। उस समय रोम के एक राजा जिनका नाम नूमा पोंपलस था , उन्होंने रोमन के कैलेंडर में एक बड़ा बदलाव किया और आठवीं शताब्दी ईसा पू्र्व के बाद से ही कैंलेडर में जनवरी और फरवरी के महीने को जोड़ दिया। वहीं नया साल 1 जनवरी को मनाने का चलन सन् 1582 में ग्रेग्रेरियन कैंलेडर के आने के बाद से हुआ।
रोम के जूलियस सीजर नामक एक शासक ने कैंलेडर में बदलाव कर दिया। जिसमें उन्होंने 1 जनवरी से नया साल शुरुआत करने की घोषणा कर दी। बता दें की हमारी पृथ्वी 365 दिन , 6 घंटे सूर्य के चक्कर लगाती है। ऐसे में जनवरी और फरवरी माह को जोड़ा गया जिससे सूर्य की गणना से इसका तालमेल नहीं बैठ सका। जिस कारण खगोलविदों ने इस पर अध्ययन किया।
सूर्य और चंद्र चक्र की गणना के आधार पर ही कैलेंडर तैयार किया जाता है। चंद्र चक्र के आधार पर बनाया गया कैलेंडर में 354 दिन होते है। वही सूर्य कर के आधार पर बनाया गया कैलेंडर 365 दिन का होता है। ग्रेग्रेरियन कैंलेडर सूर्य चक्र के आधार पर बना हुआ है। जिसको ज़्यादातर तर देशों में इस्तेमाल किया जाता है।