सरकार ने कहा 'अधिक किफायती दरों' पर बिक सकती है रसोई गैस, अगर अंतर्राष्ट्रीय कीमतें घटें
केंद्र ने गुरुवार को लोकसभा को बताया कि अगर ईंधन की अंतरराष्ट्रीय कीमत 750 डॉलर प्रति टन के अपने मौजूदा मूल्य से नीचे आती है, तो घरेलू एलपीजी को "और भी किफायती दरों" पर बेचा जा सकता है।
केंद्र ने गुरुवार को लोकसभा को बताया कि अगर ईंधन की अंतरराष्ट्रीय कीमत 750 डॉलर प्रति टन के अपने मौजूदा मूल्य से नीचे आती है, तो घरेलू एलपीजी को "और भी किफायती दरों" पर बेचा जा सकता है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज लोकसभा सदन में कहा कि एलपीजी का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य "विभिन्न प्रकार के कारकों" द्वारा निर्धारित किया जाता है और "मैंने जो विश्लेषण पढ़ा है, उसमें से एक में कहा गया है कि कुछ वर्षों में यह सब अतीत की बात हो जाएगी क्योंकि बहुत अधिक गैस उपलब्ध होगी। लेकिन हमें अगले दो या तीन वर्षों में उस तरह की वैश्विक स्थिति के माध्यम से नेविगेट करना होगा जैसा कि आज मौजूद है और जैसा कि यह विकसित हो रहा है।"
हरदीप सिंह ने यह उन सदस्यों के सवालों का जवाब दिया जो जानना चाहते थे कि घरेलू गैस सिलेंडरों की कीमत कम क्यों नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील है, विशेष रूप से सबसे कमजोर। साथ ही यह भी बोले 'हमने घरेलू एलपीजी की कीमत नहीं बढ़ने दी। सऊदी अनुबंध की कीमत में 330 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, फिर भी घरेलू चीजों के लिए कीमतों में बढ़ोतरी बहुत कम थी।' आगे उन्होंने कहा, "यह आदर्श होगा यदि अंतरराष्ट्रीय सऊदी अनुबंध की कीमत 750 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से नीचे आ सकती है, इससे घरेलू एलपीजी को और भी किफायती दरों पर बेचा जा सकेगा।"
बता दें कि, पिछली बार एलपीजी घरेलू गैस की कीमतों में जुलाई 2022 में वृद्धि की गई थी। यह पिछले साल चार बार बढ़ाई गयी थी जो की लगभग 153.50 रुपये थी। पहले मार्च 2022 में 50 रुपये, फिर एक बार 50 रुपये, फिर मई में 3.50 रूपये बढ़ाये गए थे और फिर जुलाई में इसमें बढ़ोतरी की गयी थी।