टीबी (क्षयरोग) यह एक बहुत ही घातक संक्रमक रोग होता है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण से फैलता है। यह नॉर्मली फेफड़ों पर ही हमला करते हैं और इसके आलावा इसकी वजह से शरीर के कई और अंगों पर भी प्रभाव पड़ता है। जिसको यह नहीं मालूम की कैसे फैलता है तो बता दें, की यह रोग हवा के जरिये फैलता है।
यह उन व्यक्तियों से अधिकतर फैलता है जो खांसता , छींकता या फिर बोलता है उसके ऐसा करने से संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई पैदा होता है। जोकि हवा के जरिये एक दूसरे में फैलता है। ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई काफी समय तक वातावरण में सक्रिय पाए जाते हैं। जब एक स्वास्थ्य इंसान हवा में मौजूद माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेट नामक न्यूक्लीआई के सम्पर्क में आ जाता है तो वह इस रोग से संक्रमित हो जाता है।
टीबी सोये हुई अवस्था में होता है। यह सोये हुई अवस्था में संक्रमण तो होता है लेकिन टीबी रोग के जीवाणु निष्क्रिय रहते हैं। जिसके कोई लक्षण नहीं नज़र आता। अगर सुप्त (सोये हुए ) टीबी के मरीज अपना इलाज़ नहीं करवा पाते तो वह सक्रिय होकर टीबी रोग में बदल सकती है। सुप्त टीबी, टीबी रोग से अधिक घातक नहीं है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के शोध के अनुसार पुरे विश्व में 2 अरब से भी ज़्यादा लोग लेटेंट ( सुप्त ) टीबी से संक्रमित हैं। सक्रिय टीबी से मतलब है वह टीबी के जीवाणु जो हमारे शरीर में सक्रिय अवस्था में रहता है और व्यक्ति के शरीर में रहकर बीमारी बनाता है। यदि कोई व्यक्ति सक्रिय टीबी रोग से ग्रस्त है तो वह ओर लोगों को भी इससे संक्रमित कर सकता है। ऐसे में डॉक्टर्स मरीज को अपने मुँह पर मास्क लगाने या कपड़ा लगाने की सलाह देते हैं और साथ ही मुँह पर हाथ रखकर छींकना और खांसने की राय भी देते हैं।
1 लगातार 3 हफ़्तों तक खांसी रहना और आगे समय तक भी जारी रहना
2 खांसते हुए मुँह से खून निकल आना
3 छाती में दर्द होना और सांस फूल जाना
4 तेज़ी से वजन कम होना और थका हुआ महसूस करना
5 शाम के समय भुखार आना और ठंड लगना
6 रात के समय पसीना आ जाना।
1. पल्मोनरी टीबी (फुफ्फुसीय यक्ष्मा) -
यदि टीबी रोग आपके फेंफड़ों को संक्रमित करता है तो उसको पल्मोनरी टीबी ( Pulmonary TB) कहते हैं। यह पल्मोनरी टीबी ( Pulmonary TB) नामक जीवाणु 90 % तक आपके फेंफड़ों को प्रभावित कर देता है। ऐसे में आपको आमतौर पर सीने में दर्द होना लम्बे समय तक खांसी और बलगम आना जैसी परेशानियां देखने को मिलती हैं। कभी कभी इस रोग के मरीजों में खांसी के साथ - साथ खून आने जैसी लक्षणों का सामना करना पड़ता है।
2. एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी (इतर फुफ्फुसीय यक्ष्मा)-
यदि टीबी का जीवाणु व्यक्ति के फेंफड़ों की जगह अन्य किसी शरीर के अंग को प्रभावित करता है तो इसको एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी (extra pulmonary TB) (इतर फुफ्फुसीय यक्ष्मा) कहा जाता है। यह रोग पल्मोनरी टीबी (फुफ्फुसीय यक्ष्मा) के साथ भी हो सकता है। जोकि फेंफड़ों से बाहर भी फैलता है। जिसमें फेंफड़ों के आलावा अलग प्रकार के टीबी रोग हो जाते हैं। यह अधिकतर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के लोगों और छोटे - छोटे बच्चों में होने का खतरा होता है।
3 मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी -
मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (multi drug resistance TB) इस टीबी के जीवाणु का (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस) पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है। यदि मरीज टीबी की नियमित रूप से दवा नहीं लेता या मरीज मरीज द्वारा कोई गाल दवा ले लेता है तो या फिर मरीज टीबी का कोर्स छोड़ देता है, या एक दिन भी दवा कहानी छूट जाती है। तो ऐसे में रोगी को मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (multi drug resistance TB) होने का घटन अबना रहता है।
टीबी के लक्षण दिखाई देने वाले रोगी की जाँच डॉक्टर्स कई टेस्ट दवारा करते हैं जिनके नाम है -
1. स्पुटम/अन्य फ्लूइड टेस्ट (Sputum/Other Fluid Test)
2 स्किन टेस्ट (मोंटेक्स टेस्ट) (Skin test (Montex test)
3 लाइन प्रोब असे (line probe assay)
4 जीन एक्सपर्ट टेस्ट (gene expert test)
टीबी रोग के उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इस रोग का इलाज़ करने वाली ज़्यादातर उपयोग करने वाली दवाएं हैं 2 एंटीबायोटिक्स आइसोनियाजिड और रिफाम्पिसिन (2 antibiotics are isoniazid and rifampicin) हैं। इसका उपचार कई महीनों तक चलता है।
1 सक्रिय लक्षणों के बारे में पता लगने पर सही इलाज़ करवाए। इसका उपचार जल्द से जल्द करवाना बेहतर होगा। जितनी जल्दी इसका इलाज़ किया जायेगा इतनी ही जल्दी यह रोग खत्म होता है अधिक समय होने के बाद इसके इलाज़ करने में दिक्क़तें आ सकती है।
2 टीबी के मरीजों को खांसते समय मुँह पर मास्क, हाथ या फिर कपड़ा जरूर रखे। भीड़ भरी जगह या फिर अकेले में कहीं भी थूकना नहीं चाहिए।
3 अपनी और अपने अस्स - पास की जगह की साफ - सफाई पर अच्छे से ध्यान दें।
4 ताज़ी सब्जियां , फल आदि का सेवन करें। ऐसी चीज़ों का अधिक सेवन करें जिसमें कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फैटयुक्त की अच्छी खासी मात्रा पाई जाती है। क्योंकि यदि व्यक्ति शारीरक तौर से मजबूर और स्वस्थ रहेगा तो टीबी के संक्रमण से बचा जा सकता है। First Updated : Friday, 24 March 2023