नींद की कमी से जूझ रहे हैं Mosquitoes!
एक बेहद ही हैरान करने वाली और चौंकाने वाली खबर आई है वो ये कि इंसान ही नहीं, अब मच्छर भी नींद की कमी से जूझ रहे हैं।
एक बेहद ही हैरान करने वाली और चौंकाने वाली खबर आई है वो ये कि इंसान ही नहीं, अब मच्छर भी नींद की कमी से जूझ रहे हैं। नींद नहीं आने के कारण खून चूसने वाले मच्छर 'खून का स्वाद' तक भूल गए हैं। एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है। सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी में हाल ही में हुए एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। इस अध्ययन के मुताबिक नींद की कमी से कीड़े-मकौड़े भी बीमार हो जाते हैं।
नींद का असर कीड़े-मकौड़ों पर भी पड़ता है, मच्छर, मधुमक्खियों को भी नींद की कमी से जूझना पड़ता है। नींद की कमी से मधुमक्खियों को उड़ने में दिक्कत होती है तो वहीं फ्रूट फ्लाई की यादाश्त नींद पूरी नहीं होने की वजह से कमजोर होन लगती है। जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के डिजीज इकोलॉजिस्ट ओलुवास्यून अजेई ने बताया कि मच्छरों को खून पीने से ज्यादा सोना पसंद है।
मच्छर की नींद की साइकिल को पढ़ना बेहद मुश्किल है। मच्छर सोते समय भी जागे हुए मच्छरों की तरह ही दिखते हैं। ऐसा करके वे अपनी ऊर्जा को बचाते हैं। इंडियाना की नॉट्रे डैम यूनिवर्सिटी के बायोलॉजिस्ट सैमुएल रंड ने बताया कि एक प्रयोग के दौरान तीन प्रजातियों के मच्छर एडीस एजिप्टी, क्यूलेक्स पिपिएंस और एनोफिलीज स्टेफेंसी को कांच के डिब्बों में बंद कर दिया। इनके अंदर कैमरा और इंफ्रारेड सेंसर्स लगे थे।
इन मच्छरों ने दो घंटे बाद सोना शुरू कर दिया। वहीं कुछ मच्छरों को एक कांच के ट्यूब्स में रखा था। इसमें कुछ मिनट में कंपन होता था, ताकि वे सो न सकें। इन मच्छरों को 4 से 12 घंटे तक सोने नहीं दिया। बाद में इन सभी मच्छरों को एक कांच के बर्तन मे डाला गया और उसमें इंसान ने अपना पैर रख दिया। इसके बाद देखा गया कि जो मच्छर आराम से सोए थे, उन्होंने इंसान के पैर पर हमला कर दिया। वहीं जिन मच्छरों की नींद पूरी नहीं हुई थी, वे चुपचाप सोने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें खून की गंध उकसा नहीं पा रही थी। वैज्ञानिक सालों से बीमारियों की रोकथाम के लिए मच्छरों के सोने और जागने का समय तय करने वाली जैविक घड़ी का अध्ययन कर रहे हैं।
अध्ययन से पता चला, मच्छर अब दिन में भी ऐसी बीमारियां फैला रहे हैं, जो पहले वे केवल रात के समय फैलाते थे। इससे साफ हो गया कि उनके सोने और जागने के टाइम टेबल बिगड़ गया है। वैज्ञानिक कई सालों से मच्छरों के सिरकाडियन रिदम की स्टडी करना चाहते थे इसका मतलब ये होता है कि शरीर के अंदर वह आतंरिक घड़ी जो नींद और जगने के समय को तय करती है अगर ये पता चल जाता है कि मच्छर कब जग रहा है तो ये पता चल जाएगा कि वह कितना खून पी रहा है और कितनी बीमारी फैला रहा है।
सिरकाडियन रिदम के जरिए वैज्ञानिक मलेरिया जैसी अन्य बीमारियों को रोकने में मदद कर सकते हैं क्योंकि ये बीमारियां रात में जगने वाले मच्छरों से होती हैं लेकिन नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि मच्छर अब दिन में भी ऐसी बीमारियां फैला रहे हैं जो वो पहले राते के समय फैलाते थे यानी उनके सोने-जगने का टाइम टेबल बिगड़ गया है। खबरों को विस्तार से जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.thejbt.com को लॉग इन कर सकते हैं। देश और दुनिया की बाकी खबरों के लिए आप देखते रहिए जनभावना टाइम्स।