साइबर बुलिंग पर कानून बनाने की जरूरत- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

ओम बिरला ने कहा कि साइबर बुलिंग पर ऐसे कानून बनाने की जरूरत है, जिससे सभा नागरिकों को सुरक्षा मिले।

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गुरुवार 23 फरवरी को गंगटोक में सीपीए इंडिया रीजन के 19वें वार्षिक जोन सम्मेलन का उद्घाटन हुआ। इस कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शामिल हुए। इस कार्यक्रम में सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष ने शिरकत की। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने साइबर बुलिंग पर कानून बनाने की वकालत की।

ओम बिरला ने कहा कि साइबर बुलिंग पर ऐसे कानून बनाने की जरूरत है, जिससे सभा नागरिकों को सुरक्षा मिले। उन्होंने कहा कि साइबर बुलिंग से हमारे देश के किशोर और युवा प्रभावित हो रहे हैं। जोकि बहुत ही गंभीर समस्या है। जिसके बचाव के लिए प्रावधान और कानून की सख्त जरूरत है।

सभी बनाए सहमति

सीपीए इंडिया रीजन के 19वें वार्षिक जोन सम्मेलन में ओम बिरला की बात पर सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि वो अपने राज्यों में साइबर बुलिंग पर कानून बनाने की बात पर सहमति बनाए। लोकसभा अध्यक्ष का ये भी मानना है कि देश की जनता तक प्रौद्योगिकी की सहायता से विधायिका के कामकाज को उन तक पहुंचाए।

राज्यसभा उपसभापति हरिवंश बोले

राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने कहा कि भारतीय संसद ने भविष्य की तैयारी के लिए डिजिटलीकरण की ओर कदम बढ़ाया है। उन्होंने आगे कहा कि आज हम डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन इस तकनीक को अपनाने के मिशन में साइबर बुलिंग इसका नकारात्मक पहलू भी है।

हरिवंश ने कहा, दुनिया भर के आंकड़े साइबर बुलिंग के मामले में भारत को अग्रणी क्षेत्र के रूप में दिखाते हैं। आपको बता दें कि इस सम्मेलन में हरिवंश ने नशीली दवाओं के इस्तेमाल के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा भारत विश्व में सबसे युवा राष्ट्र है और नीती निर्माताओं को इस समस्या को जड़ से खत्म करने का काम करना चाहिए।

बैठक में कई लोगों ने लिया हिस्सा

सीपीए इंडिया रीजन के 19वें वार्षिक जोन सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, सीपीए भारत क्षेत्र जोन-3 के अध्यक्ष पासंग डी.सोना, सिक्क्मि के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारी, संसद सदस्य, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, सिक्किम विधानसभा के सदस्य, अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष और सिक्किम विधानसभा के अध्यक्ष अरुण कुमार उप्रेती शामिल हुए।

क्या है साइबर बुलिंग

साइबर बुलिंग वर्तमान की सबसे बड़ी डिजिटल समस्या है। आज देश में अधिकतर लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, ट्विटर जैसे कई सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं। साइबर को सोशल मीडिया की भाषा में ट्रोलिंग भी कहा जाता है। इसका मतलब है सोशम मीडिया पर लोगों, को डराना, गुस्सा दिलाना और उन्हें शर्मसार करना।

सोशम मीडिया हैंडल पर अकसर आपने किसी का किसी को दूसरे व्यक्ति का मजाक उड़ाते, उसे परेशान करते देखा होगा। जिसका मकसद होता है, उस इंसान को परेशान करना। इसके अलावा की बार किसी को नीचा दिखाया जाता है इसे ही साइबर बुलिंग कहते हैं।

कई बार साइबर बुलिंग किसी की जान ले लेती है। इस तरह के घटना से प्रभावित इंसान गंभीर रूप में मैंटली परेशान हो जाता है। इस तरह की घटना को गंभीरता से लेने की जरूरत है। आपको बता दें कि कई बार बॉलीवुड सितारे भी साइबर बुलिंग का शिकार हो जाते हैं।

यूनीसेफ ने बताया गंभीर समस्या

साइबर बुलिंग को विशेषज्ञों ने एक बहुत ही गंभीर बताया है। अब इंटरनेशनल संस्थान यूनीसेफ ने भी इसे बच्चों की हेल्थ के लिए गंभीर माना है। वहीं विशेषज्ञों के अनुसार साइबर बुलिंग से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ही खराब प्रभाव पड़ता है। इससे परेशानी से पीड़ित इंसान मानसिक रूप से परेशा डिप्रेशन का शिकार, भयभीत हो जाता है। आपको बता दें कि इससे थकान, सिर में दर्द, पेट में दर्द. नींद आना जैसे लक्षण पीड़ित में पाए जाते हैं। First Updated : Friday, 24 February 2023